बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा में यूनुस सरकार फेल, हिंदुओं ने किया प्रदर्शन
ढाका। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार हिंदुओं को सुरक्षा देने में पूरी तरह से विफल रही है। वह कट्टरपंथियों पर कार्रवाई कर नहीं पा रहे हैं। इसकी वजह से हिंदुओं को फिर सड़कों पर उतरना पड़ा है। राजधानी ढाका और वाणिज्यिक नगर चटगांव में हिंदुओं ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया। उनकी आठ मांगें हैं। इन मांगों को तख्तियों पर लिख कर वे हाथों में लिए हुए थे। इन मांगों में फास्ट ट्रैक ट्रिब्यूनल के जरिए हिंदुओं पर हमला करने वालों को सजा दी जाए।
गौरतलब है कि मोहम्मद यूनुस ने सरकारी टेलीविजन पर कहा था कि किसी को भी धार्मिक सद्भाव को ठेस पहुंचाने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। चटगांव में हिंदुओं ने अल्पसंख्यक मामलों से निपटने के लिए एक अलग मंत्रालय की मांग की। अल्पसंख्यकों के लिए सीटें आरक्षित करने की मांग और छात्रों के विरोध प्रदर्शन के लीड करने वालों को उनके साथ बैठने को कहा। उन्हें कार्रवाई के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है। प्रदर्शनकारियों ने मुआवजा और पुनर्वास की मांग करते हुए कहा कि जब तक उनकी डिमांड पूरी नहीं हो जाती तब तक वे वापसी नहीं करेंगे।
बांग्लादेश में हिंदू जब भी अपने अधिकारों की आवाज उठाते हैं तो उन्हें तरह-तरह के आरोपों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे किसी एजेंट के रूप में काम नहीं कर रहे हैं। चटगांव में महिलाओं समेत प्रदर्शनकारी दोपहर तीन बजे जमाल खान क्षेत्र में इकट्ठा हुए। खुद को बंगाली बताते हुए उन्होंने घोषणा की कि वह इस जमीन को नहीं छोड़ेंगे। कुछ प्रदर्शनकारियों ने मीडिया की भूमिका पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि मेन स्ट्रीम मीडिया ने उनकी आवाज नहीं सुनी।
प्रदर्शनकारियों ने ढाका में कल शाम 4:30 बजे के करीब इसी तरह की मांगों के साथ ऐतिहासिक शाहबाग चौराहे को घेर लिया। इससे यातायात बाधित हो गया। सुरक्षा बलों की मौजूदगी में सनातनी अधिकार आंदोलन के बैनर तले कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें बांग्लादेश के कई हिंदू संगठन शामिल हुए। इस बीच पेरिस के मानवाधिकार संगठन जस्टिस मेकर्स बांग्लादेश इन फ्रांस ने कहा कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हाल ही में हुए हमलों की लहर गहरी चिंता की बात है।
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