आपका आहार ही आपकी औषधि है, थाली में मिलेट्स को शामिल कीजिए

मिलेट्समैन के नाम से मशहूर आहार विशेषज्ञ डा. खादर वली का परामर्श है कि लोग अपनी थाली से गेहूं-चावल और चीनी को निकालकर मिलेट्स को शामिल करें। वे मानते हैं कि इस देश को डाक्टर नहीं बल्कि किसान निरोगी बना सकते हैं।

Oct 14, 2024 - 17:54
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आपका आहार ही आपकी औषधि है, थाली में मिलेट्स को शामिल कीजिए

-भारत को डॉक्टर नहीं, किसान कर सकते हैं निरोगी, मोटा अनाज ही बचा सकता है बीमारी से- डॉ. खादर वली

बरेली। देश के जाने-माने आहार विशेषज्ञ एवं मिलेटमैन ऑफ इंडिया के नाम से विख्यात पद्मश्री डॉ खादर वली ने कहा कि पिछले सौ वर्षों से रसायनयुक्त भोजन खा-खा कर हम बीमार हो रहे हैं। अपनी जीवन भर की कमाई डाॅक्टरों को सौंपकर उनकी तिजोरी भरते जा रहे हैं। जबकि आहार ही आपकी औषधि है। आपका खाना ठीक है तो दवा जरूरी नहीं, लेकिन खाना खराब है तो दवा भी बेअसर होगी। बीमारी से बचना है तो थाली से गेहूं, चावल को हटाकर मोटा अनाज शामिल करें। हजारों वर्षों तक मोटा अनाज ही हमारा मुख्य आहार रहा। सौ वर्षों में इसके प्रति भ्रम फैलाया गया। 

बरेली के भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान  संस्थान (आईवीआरआई)  के केंद्रीय सभागार में मोटे अनाज (मिलेट्स) का उपयोग स्वस्थ मानव जीवन एवं सुरक्षित पर्यावरण विषय पर आयोजित संगोष्ठी के दौरान मिलेट्समैन पद्मश्री डॉ. खादर वली ने ये बातें कहीं।

मिलेट्समैन ने कहा कि डॉक्टर बीमार को दवाएं देंगे पर उससे मुक्त होने का तरीका नहीं बताएंगे। इससे उनका पेशा प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि गेहूं, चावल और चीनी में रेशा यानी फाइबर एक फीसदी भी नहीं होता। ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा होती है, जो रक्त में मिलकर उसे गाढ़ा बनाता है। मोटा अनाज में फाइबर 8 से 14 फीसदी तक होता है। जो रक्त को सुचारु बनाकर रोगों से मुक्त करता है।  

 उन्होंने कहा कि बीते सौ वर्षों से रसायनयुक्त भोजन के सेवन से ही बीमारियां बढ़ रही हैं। हम स्टील और एल्युमिनियम के बर्तन में खाना पका रहे हैं। यानी पकाने और खाने का तरीका दोनों सही नहीं। कैंसर, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, माइग्रेन, थॉयराइड, रूमेटाइ ऑर्थराइटिस, हृदय संबंधी रोग इसलिए ही हो रहे हैं। पुरुषों में गंजापन और महिलाओं में अनियमित माहवारी के मामले बढ़ रहे हैं।

 उन्होंने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने दूषित भोजन खिलाकर हमारे शरीर को रोगों का घर बना दिया है और वे दवाइयाँ बेचकर मालामाल हो रही हैं। हमारी सारी बीमारियों की जड़ हमारा खानपान है। इस देश को डॉक्टर नहीं, किसान निरोगी कर सकते हैं।

डॉ खादर ने कहा कि मिलेट जिसे हमारे प्रधानमंत्री ने श्रीअन्न का नाम दिया है, का नियमित सेवन हमारी सारी बीमारियों का एकमात्र निदान है। यह न सिर्फ हमारे शरीर को हृष्ट पुष्ट रखता है बल्कि पर्यावरण को बचाने में भी सहायक है। एक किलो चावल के उत्पादन में 8 हजार लीटर पानी की जरूरत पड़ती है जबकि एक किलो मिलेट के उत्पादन में महज ढाई से तीन सौ लीटर पानी चाहिए होता है। अगर हम  धान, गेहूं और चीनी की खेती बंद कर मिलेट की खेती की ओर बढ़ें तो हम भावी पीढ़ी के लिए 5 हजार वर्षों तक पानी की व्यवस्था कर जाएंगे। अगर हमने सबक नहीं लिया तो भावी पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी। 

 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसआईएस ग्रुप और राष्ट्रीय संगत पंगत के संस्थापक अध्यक्ष, पूर्व सांसद डॉ आरके सिन्हा ने कहा कि वैसे तो प्रकृति में 200 तरह के मिलेट्स मौजूद हैं लेकिन मुख्यतः पांच मिलेट को दो, कुटकी, कंगनी, सावां और हरा सावां का सेवन हमारी सेहत के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। यह प्राकृतिक खाद्य पदार्थ है। हमारे पूर्वजों ने मिलेट खाकर ही सौ वर्षों का जीवन जिया है। अब कोरोना आपदा के बाद लोगों को मिलेट के महत्व का पता चला है।

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार धान, गेहूं और गन्ने की खेती के लिए सब्सिडी दे रही है जबकि मिलेट के उत्पादन पर 5 फीसदी सेवा शुल्क वसूल रही है। मिलेट का सेवन न सिर्फ हमारे शरीर को स्वस्थ बनाता है बल्कि हमें रोगों से लड़ने की क्षमता भी प्रदान करता है। 

प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ अरुण सक्सेना ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि जैसे मजबूत शरीर के लिए योग जरूरी है, उसी तरह स्वस्थ शरीर के लिए मिलेट जरूरी है।

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SP_Singh AURGURU Editor