aurguru news : 11,860 बेसहारा बच्चों का सहारा बनी योगी सरकार, 1423.20 लाख रुपये की दी सहायता

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के अनाथ, परित्यक्त और बाल भिक्षुओं (ओएएस) के अभिभावक बनकर सामने आये हैं। ऐसे बच्चों के पालन पोषण के लिए योगी सरकार स्पॉन्सरशिप योजना चला रही है। इसके तहत 18 साल तक के ओएएस बच्चों को प्रतिमाह 4 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की जा रही है। योगी सरकार द्वारा केंद्र सरकार के मिशन वात्सल्य कार्यक्रम के तहत इस वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 11,860 बच्चों को 1,423.20 लाख रुपये की सहायता प्रदान की जा चुकी है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 20 हजार बच्चों को योजना का लाभ देने का लक्ष्य रखा गया है।

Aug 27, 2024 - 15:40
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aurguru news : 11,860 बेसहारा बच्चों का सहारा बनी योगी सरकार, 1423.20 लाख रुपये की दी सहायता

महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव बी चंद्रकला ने बताया कि ओएएस बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए योगी सरकार ने 17 जुलाई, 2022 को स्पॉन्सरशिप योजना को हरी झंडी दी। इस योजना के सुचारू रूप से संचालन के लिए केंद्र सरकार द्वारा 60 प्रतिशत, जबकि राज्य सरकार द्वारा 40 प्रतिशत खर्च वहन किया जा रहा है। वर्ष 2023-24 में 7,018 बच्चों को 910.07 लाख रुपये की सहायता दी गयी। इस वित्तीय वर्ष में अब तक 11,860 बच्चों को 1,423.20 लाख रुपये की सहायता प्रदान की जा चुकी है। 
महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक संदीप कौर ने बताया कि योजना के तहत बाल तस्करी, बाल विवाह, बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति से बचाए गए, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित या दिव्यांग बच्चों को सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा जेल में बंद माता-पिता वाले बच्चों, एचआईवी/एड्स से प्रभावित लोगों और जिनके अभिभावक आर्थिक, शारीरिक या मानसिक रूप से उनकी देखभाल करने में असमर्थ हैं, उन्हें भी सहायता प्रदान की जा रही है। योजना का लाभ लेने के लिए अभिभावकों को आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र, आयु प्रमाण पत्र, अभिभावकों के मृत्यु प्रमाण पत्र और किसी शैक्षणिक संस्थान में पंजीकरण के प्रमाण सहित आवश्यक दस्तावेज जिला बाल संरक्षण इकाई या जिला प्रोबेशन अधिकारी के कार्यालय में जमा होता है।
जनवरी 2024 में चितौआना पंचायत में आयोजित एक बैठक में विभाग ने चार बच्चों (दो लड़के और दो लड़कियों) की पहचान की, जिन्हें विशेष रूप से सहायता की आवश्यकता थी। इन बच्चों के पिता का निधन हो चुका था। इसकी वजह से परिवार आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा था। इन बच्चों की मां परिवार का भरण-पोषण करने के लिए मज़दूरी करती थी। मां की मदद करने की वजह से यह बच्चे स्कूल नहीं जा पाते थे। इस पर ग्राम प्रधान एवं बाल संरक्षण अधिकारी के संयुक्त प्रयास से बच्चों को स्पान्सर योजना से जोड़ा गया।

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SP_Singh AURGURU Editor