हथौड़ा तक नहीं चला पा रहे यूपी से इस्राइल गए श्रमिक

तेल अवीव। गाजा युद्ध के बाद इस्राइल ने अपने यहां काम कर रहे एक लाख से अधिक फिलस्तीनी कामगारों को काम करने से मना कर दिया। ये मजदूर इस्राइल में निर्माण सेक्टर में काम कर रहे थे। ऐसे में इस्राइल में निर्माण का काम लगभग ठप पड़ गया। अब वहां के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार ने भारत से हजारों कामगार बुलाए हैं। इनमें अधिकतर यूपी के कामगार गए हैं। इनके अलावा हरियाणा और दक्षिण भारत से भी कर्मचारी वहां पहुंचे हैं। हालांकि इस्राइल के उद्योग भारतीय कामगारों के प्रदर्शन से खुश नहीं हैं। अब ऐसे में इस्राइल ने चीन से कर्मचारी बुलाने शुरू कर दिए हैं और भारतीय कामगारों से मजदूरी का काम करा रहे हैं।

Sep 10, 2024 - 11:50
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हथौड़ा तक नहीं चला पा रहे यूपी से इस्राइल गए श्रमिक

इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि इस्राइल ने इन अकुशल मजदूरों को भारत के साथ दोस्ती निभाने के चक्कर में दूसरे तरह के उद्योगों में तैनात किया है ताकि वे वहां पर मजदूरी का काम कर सकें। इससे भारतीय मजदूरों की प्रतिष्‍ठा को विदेश में बड़ा झटका लगा है। इस्राइल और भारतीय दोनों ही देशों के अधिकारियों ने माना है कि मैनपावर एजेंसियों के साथ सुधार की जरूरत है ताकि वे अच्छे कामगार ही विदेश भेजें। यहां तक कि इस्राइल में सही तरीके से काम नहीं करने वाले छह सौ से अधिक मजदूर भारत लौट गए हैं। इस्राइल में करीब पांच हजार भारतीय श्रमिकों को भर्ती किया गया था। 

इन भारतीय कामगारों को सारे कटौती के बाद भी 1.9 लाख रुपये दिया जा रहा था। अब जो काम में फेल साबित हो रहे है, उन्‍हें बहुत कम पैसे में काम करके गुजारा करना पड़ रहा है। सरकार से सरकार के बीच भर्ती को लखनऊ और हरियाणा में अंजाम दिया गया था। कई ऐसे भी हैं जिनसे अब ईंट सीमेंट ढोने का काम कराया जा रहा है। कुछ भारतीय मजदूरों को भाषा की बड़ी समस्‍या आ रही है। इससे भी वे अच्‍छा काम नहीं कर पा रहे हैं। यहां तक कि यूपी से गए मजदूर हथौड़ा तक चलाने में संकोच करते हैं।

एक इस्राइली कंस्ट्रक्शन अधिकारी ने कहा कि भारतीयों में अनुभव की भारी कमी है। कई मजदूर अभी 20 साल के आसपास हैं और उन्‍होंने कंस्‍ट्रक्‍शन सेक्‍टर में कभी काम ही नहीं किया है। कई तो ऐसे हैं जो किसानी और बाल काटने का काम कर रहे थे और उन्‍होंने कभी हथौड़ा तक नहीं उठाया था। ऐसे लोगों को भी यहां पहुंचा दिया गया है। अब इन लोगों से फैक्ट्रियों में काम कराया जा रहा है। उनसे सफाई और सामान उतारने चढ़ाने का काम लिया जा रहा है।

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