दलित उत्पीड़न और मारपीट के आरोप से महिला बरी
आगरा। दलित उत्पीड़न एवं धोखाधड़ी के मामले में आरोपित रकाबगंज के मोहनपुरा निवासी मोहम्मद अहमद की पत्नी रिहाना को गवाहों के मुकरने पर विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी एक्ट) राजेंद्र प्रसाद ने बरी कर दिया। यह फैसला 17 साल बाद आया।
- गवाहों के मुकरने पर 17 साल बाद हुई बरी
थाना शाहगंज में दर्ज मामले के अनुसार मुकदमे की वादिनी खेमवती ने आरोप लगाया था कि अभियुक्ता रिहाना एवं उसके पति मोहम्मद अहमद ने अपने घर में विवाद होने पर एक माह के लिये उनके घर में वर्ष 2003 मे किराये पर कमरा लिया था।
उसके बाद अभियुक्ता एवं अन्य ने कमरा खाली नहीं किया। उल्टे वर्ष 2005 में फर्जी कागजातों कें आधार पर घर को हड़पने का षड्यंत्र रचा।
विरोध करने पर 8 मई 2007 को घर में घुसकर वादिनी, उसके पति एवं पुत्र के साथ मारपीट एवं जातिसूचक शब्द कहते हुए उत्पीड़न किया। उक्त मामले में विवेचना के उपरांत रिहाना एवं जैनम पत्नी जहांगीर निवासिनी शिवनगर, कमाल खां, थाना शाहगंज के विरुद्ध विवेचक ने अदालत में आरोप पत्र प्रेषित किया था। जैनम की म्रत्यु हो जाने पर अदालत ने उसके विरुद्ध कार्यवाही समाप्त कर दी।
मुकदमे के विचारण के दौरान गवाहों के मुकरनें एवं अभियुक्ता के अधिवक्ता कृष्ण मुरारी माहेश्वरी के तर्क पर अदालत ने सबूत के अभाव में अभियुक्ता को बरी करने के आदेश दिये।
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