क्या आलू के भाव इस साल भी दिखाएंगे पिछले साल जैसा ताव?
आगरा। अब जबकि आलू खेतों से कोल्ड स्टोरेज में पहुंच चुका है, किसानों के बीच यह जिज्ञासा बनी हुई है कि इस बार आलू के भाव क्या रहेंगे। इसे लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं। किसानों के नेता जहां इस बार आलू की अच्छी कीमत मिलने के संकेत दे रहे हैं, वहीं बाजारों पर नजर रखने वाले कुछ विष्लेषक मान रहे हैं कि आलू की स्थिति पिछले साल जैसी नहीं रहेगी। दोनों ही ओर से अपनी अपनी बातों के समर्थन में तर्क भी दिए जा रहे हैं।

-किसान नेता मान रहे हैं कि पिछले वर्ष जैसी ही कीमतें रहेंगी इस बार भी
-विष्लेषक का निष्कर्षः गुजरात, बंगाल व पंजाब में ज्यादा उत्पादन से असर
क्षमता के मुकाबले खाली हैं कोल्ड स्टोरेज
आगरा जनपद के कोल्ड स्टोरेज की ही बात करें तो एक बात तो साफ दिख रही है कि कोल्ड स्टोरेज इस साल भी पूरी क्षमता से नहीं भरे जा रहे। इस साल तो पिछले साल से भी ज्यादा स्थिति खराब नजर आ रही है। पिछले साल माना गया था कि कोल्ड स्टोरेज में उनकी क्षमता का 85 प्रतिशत आलू भंडारित हुआ। इस बार पिछले साल जितना आलू भी कोल्ड स्टोरेज में नहीं पहुंच रहा।
आलू की खुदाई का काम लगभग पूरा होने को है। अभी तक जो रिपोर्ट्स मिल रही हैं, उसके अनुसार भंडारण क्षमता का 60 से 65 प्रतिशत आलू ही कोल्ड स्टोरेज में पहुंचा है। इस बड़े बदलाव पर भारतीय किसान यूनियन ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है, "समय पलटते देर नहीं लगती।"
भाकियू (टिकैत) ने किसानों को आगाह किया
भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष राजवीर लवानियां ने आलू उत्पादक किसानों को सचेत करते हुए कहा है कि किसान अब अपना आलू व्यापारियों को सोच-समझकर ही दें। श्री लवानिया ने कहा कि जब किसान आलू भंडारण करता है, तो कोल्ड स्टोरेज मालिक उन्हें पक्की रसीद तक नहीं देते। इसके अलावा किसानों से प्रति कुंटल छह किलो अतिरिक्त आलू मुफ्त में ले लिया जाता है, जिससे व्यापारियों को प्रत्येक किसान का हजारों रुपये का माल मुफ्त में मिल जाता है।
पक्की रसीद जरूर लें किसान
भाकियू जिलाध्यक्ष ने जिले भर के आलू उत्पादक किसानों से अपील की है कि वे जिस भी कोल्ड स्टोरेज में आलू का भंडारण करें, वहां अपने भंडारित आलू की पक्की रसीद अवश्य लें। श्री लवानिया ने कहा कि कुछ कोल्ड स्टोरेज मालिकों द्वारा हाउसफुल के बोर्ड लगाना भी किसानों के साथ एक साजिश है। किसान कतई विचलित न हों क्योंकि ज्यादातर कोल्ड स्टोरेज खाली पड़े हैं। हाउसफुल के बोर्ड इसलिए लगा दिए गए हैं ताकि किसान व्यापारियों को अपना माल बेच दें।
ये है भाकियू (टिकैत) का आंकलन
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) क जिलाध्यक्ष राजवीर लवानिया ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज अभी सिर्फ 60% भरे हैं। बंगाल के 60%, गुजरात के 80% सक्रिय कोल्ड स्टोरेज की कुल क्षमता तीन करोड़ पैकेट है। मध्य प्रदेश के सक्रिय कोल्ड स्टोरेज में ज्यादातर गाजर व चुकंदर भरा है जबकि पंजाब के 50%, और राजस्थान के केवल 20 कोल्ड स्टोरेज ही सक्रिय हैं, जिनमें 50% से अधिक भंडारण नहीं हुआ है।
भारतीय किसान यूनियन ने किसानों से धैर्य बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि किसान अब अपने हक के लिए मजबूती से खड़े रहेंगे और बिना पक्की रसीद के भंडारण नहीं करेंगे।
आलू के उत्पादन को लेकर एक पक्ष यह भी
आलू की खेती से लेकर मार्केट तक नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरधारी लाल गोयल मानते हैं कि इस साल भी आगरा के कोल्ड स्टोरेज कुल क्षमता के 80 प्रतिशत तक भर जाएंगे। 70 प्रतिशत कोल्ड स्टोरेज अब तक भर चुके हैं। आलू की खुदाई पूरी होते-होते ये 80 प्रतिशत तक भर जाएंगे। गिरधारी लाल गोयल का तर्क है कि अगर ऐसा होता है तो यह पिछले साल के 85 प्रतिशत स्टोरेज के बराबर ही होगा क्योंकि पिछले साल के मुकाबले कुछ कोल्ड स्टोरेज की क्षमता पांच प्रतिशत बढ़ी है।
तीन राज्यों में 20 प्रतिशत ज्यादा उत्पादन की सूचना
गिरधारी लाल गोयल बताते हैं कि देश में पैदा होने वाले कुल आलू में बंगाल की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत, पंजाब की आठ और गुजरात की सात प्रतिशत है। यूपी देश का 40 प्रतिशत आलू पैदा करता है। देश के कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत आलू पैदा करने वाले बंगाल, पंजाब और गुजरात में इस बार आलू का उत्पादन 20 प्रतिशत ज्यादा हुआ है। इस प्रकार देखें तो टोटल का दस प्रतिशत आलू एक्स्ट्रा पैदा हुआ है। अगर यूपी में आलू उत्पादन 5% कम रह भी गया तो भी यह पिछली बार के मुकाबले 5% ज्यादा होगा।
सब्जियां सस्ती होने से मांग घटेगी
बकौल गोयल, इस साल सब्जियां बहुत सस्ती चल रही हैं, जबकि पिछले साल हर सब्जी मंहगी थी। इस बार आम की मादा फसल (ज्यादा उत्पादन वाली) की साल भी है। ये फैक्टर भी आलू की मांग कम करेंगे। हालांकि मांग पिछले साल भी कम थी। इसी कारण आलू के रिकॉर्ड महंगे भाव थे।