बहुमूल्य वन्य जीवन बचा रही वाइल्डलाइफ एसओएस की यात्रा के 30 साल पूरे
12 अक्टूबर को दुनिया भर में विश्व स्लाथ भालू दिवस मनाया जाएगा। वन्य जीवन बचाने में जुटी वाइल्डलाइफ एसओएस इस मौके पर अपनी यात्रा के 30 साल पूरे करने जा रही है। संस्था इस मौके पर अपनी उपलब्धियों का जश्न भी मना रही है।
आगरा। 22 अक्टूबर को दुनिया भर में विश्व स्लाथ भालू दिवस मनाया जाएगा। क्या आप जानते हैं कि विश्व भालू दिवस किसकी पहल पर मनाना शुरू हुआ? दरअसल वाइल्डलाइफ एसओएस ने 12 अक्टूबर 2022 को विश्व स्लॉथ भालू दिवस की स्थापना में मदद कर स्लॉथ भालुओं के संरक्षण को विश्व मानचित्र पर रखा था।
दुनिया भर के वन्यजीव संरक्षक इस वर्ष 12 अक्टूबर यानि कल विश्व स्लॉथ भालू दिवस की दूसरी वर्षगांठ मनाएंगे, वहीं वाइल्डलाइफ एसओएस संस्था वन्यजीव संरक्षण में अपने 30 वर्ष पूरे करने की यात्रा में प्रवेश कर चुकी है और इस उपलब्धि पर प्रकाश डालने के लिए संस्था ने विश्व स्लाथ भालू दिवस के अवसर को चुना है।
वाइल्डलाइफ एसओएस अपने अस्तित्व के 30वें वर्ष में प्रवेश करते हुए भारत के बहुमूल्य वन्य जीवन को बचाने का जश्न मनाने के लिए सम्मानित महसूस कर रहा है। 1995 में दिल्ली के गैराज से संकटग्रस्त जंगली जानवरों को बचाने, उनका इलाज करने और पुनर्वास करने की मामूली शुरुआत से लेकर आज संस्था ने अब तक हजारों जानवरों को बचाया है।
इसके सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक 'डांसिंग' भालुओं की क्रूर प्रथा का समाधान करना और लगभग 700 स्लॉथ भालुओं को अभयारण्य में लाना है। संस्था ने कलंदरों द्वारा बंधक बनाए गए इन भालुओं के कल्याण में अग्रणी के रूप में अपना काम शुरू किया, जो भारत की मुख्य भूमि में पाए जाते हैं। स्लॉथ भालू संरक्षण के लिए अपने काम के 30 वर्षों में संस्था देश भर में चार स्लॉथ भालू बचाव सुविधाओं का प्रबंधन और संचालन करती है।
आज वाइल्डलाइफ एसओएस आगरा में मौजूद उनके भालू संरक्षण केंद्र की देखरेख करती है, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा स्लॉथ भालू संरक्षण केंद्र है और आगरा के सूर सरोवर पक्षी विहार के अंदर स्थित है। इसके बाद बेंगलुरु में बन्नेरघट्टा भालू बचाव केंद्र भी है जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्लॉथ भालू अभयारण्य है।
संस्था भोपाल में वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के अंदर और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में दो और स्लॉथ भालू बचाव केंद्रों का भी प्रबंधन करती है।
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव गीता शेषमणि ने कहा, "जैसा कि हम वाइल्डलाइफ एसओएस के 30 वर्षों को देखते हैं, मुझे यह देखकर बहुत खुशी होती है कि हम कितनी दूर आ गए हैं। इन भालुओं को बचाने के साथ जो शुरू हुआ, वह खूबसूरती से विस्तारित हुआ है एक मिशन है, जिसने जानवरों की अनगिनत अन्य प्रजातियों को बचाया और पुनर्वास किया है। कलंदर समुदाय को आजीविका के अवसर प्रदान करना और उनके जीवन में एक नई दिशा प्रदान करना इस बात को रेखांकित करता है कि हमारे संरक्षण प्रयासों का प्रभाव पशु कल्याण से कहीं आगे तक फैला हुआ है।"
संस्था के 30वीं वर्षगांठ में प्रवेश करने पर वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने भविष्य के लिए सामूहिक प्रयासों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, "जैसा कि हम आज इस अवसर को मना रहे हैं, मैं यह कहना चाहूँगा कि भविष्य की रक्षा हमें स्वयं करनी है। यह मार्गदर्शक सिद्धांत हमारी स्थापना के समय से ही हमारे मिशन के केंद्र में रहा है, और यह आज भी हमारे काम को प्रेरित करता है।"
कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “पिछले 30 वर्षों में हमने वन्यजीवों को बचाने और उनके पुनर्वास और संरक्षण में महत्वपूर्ण प्रगति की है। अब प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हम सभी की है। चूँकि हम महत्वपूर्ण वन क्षेत्र खो रहे हैं, हमें पृथ्वी पर मौजूद हर जीवित प्राणी की सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक साथ आना चाहिए। हमें आशा है कि भावी पीढ़ियों को वन्य जीवन की सुंदरता और विविधता से भरा एक संपन्न ग्रह विरासत में मिलेगा।"
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