शांति पसंद माथुर वैश्य समाज में इतनी अशांति क्यों?
आगरा। शांति पसंद और प्रगतिशील विचारों वाले माथुर वैश्य समाज के बीच इतना लावा धधक रहा है, ऐसा किसी ने नहीं सोचा था। गुरुवार को दोपहर में दो गुटों की रार के बाद जो तथ्य सामने आए हैं, उससे पता चलता है कि यह रार पिछले छह माह से चली आ रही थी। अब तक मामला समाज के अंदर ही था, लेकिन अब यह सड़क पर आने से समाज की एकता पर ही सवाल उठने लगे हैं। समाज के वरिष्ठजनों के लिए यह खबर पीड़ादायक थी कि मामला पुलिस थाने तक जा पहुंचा।
छह महीने से धधक रहा था लावा, माथुर वैश्य भवन पर हुआ विवाद थाने तक पहुंचने के हालात बन गए
− मामला कोर्ट में विचाराधीन, राष्ट्रीय अध्यक्ष बोले-अवांछनीय लोगों ने दी जान से मारने की धमकी
विवाद की जड़ में माथुर वैश्य महासभा के भवन पर कब्जे का मामला बताया जा रहा है। भवन पर घंटों तक विवाद चला। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ही बवाल थमा। सवाल यह है कि दो धड़ों में बंटे समाज के जिम्मेदार लोग समाज का भला ही चाहते हैं तो फिर आपस में बैठकर मतभेदों को दूर सकते थे।
माथुर वैश्य महासभा की गतिविधियां विशुद्ध रूप से समाज के उत्थान से जुड़ी हैं, जिसमें समर्पित लोग अपना समय देकर यह काम करते हैं। कोई ऐसा पद तो है नहीं, जिसमें वेतन भत्तों का लोभ हो जो विवाद का कारण बनता।
दो धड़ों में बंटकर माथुर वैश्य सभा भवन को अखड़ा बनाने वाले समाज के जिम्मेदारों में एक गुट का नेतृत्व अखिल भारतीय माथुर वैश्य महासभा के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक गुप्ता (वाराणसी) कर रहे हैं तो दूसरे गुट के अगुआ शमसाबाद, आगरा के अवनीश कांत गुप्ता हैं। अशोक गुप्ता कहते हैं कि दिन पहले माथुर वैश्य महासभा भवन, पचकुंइया पर दूसरे पक्ष ने अनधिकृत रूप से कब्जा कर लिया था।
इसी बात को समाज के सामने लाने के लिए वे गुरुवार को प्रेस से वार्ता करने वाले थे कि प्रेसवार्ता से पूर्व ही विरोधी गुट के लोग महासभा भवन पहुंच गए। बवाल की आशंका से उन्होंने भवन के दरवाजे पर ताला लगवा दिया। इससे विरोधी पक्ष के लोग आक्रामक हो गए। भवन के बाहर सड़क पर ही झगड़े और मारपीट के हालात बन गए। दरवाजा तोड़ने तक के प्रयास होने लगे। बकौल अशोक गुप्ता, ऐसी हालत में उन्हें यूपी 112 नंबर पर संपर्क कर पुलिस बल को मौके पर बुलाना पड़ा। पुलिस के आने के बाद भी बवाल चलता रहा।
मौके पर पहुंची पुलिस ने पहले तो भवन के अंदर ही राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक गुप्ता और अंतरिम अध्यक्ष अवनीश कांत गुप्ता के साथ वार्ता कर विवाद शांत करने की कोशिश की, लेकिन बाद नहीं बनी तो दोनों पक्षों को लोहामंडी थाना ले गई। थाने पर भी देर तक दोनों पक्ष डटे रहे। दोनों पक्षों की ओर से पुलिस को तहरीर भी दे दी गई है। मतलब माथुर वैश्य समाज में वह सब कुछ हो गया जो इससे पहले कभी नहीं हुआ था।
कोर्ट में भी चल रहा है मामला
अखिल भारतीय माथुर वैश्य महासभा की विधानसभा के अध्यक्ष एवं पूर्व एमएलसी सुरेश चंद गुप्ता बच्चू बाबू ने बताया कि राकेश कुमार और कुलदीप गुप्ता ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ कोर्ट में वाद दायर किया था। उनका कहना था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने गबन के झूठे आरोप लगाकर हमें महासभा से निष्कासित कर दिया है। यह मामला एडीजी 11 के समक्ष चल रहा है। उनकी मांग थी कि उनका निष्कासन वापस कर लिया जाए, किंतु उन्हें अभी स्टे नहीं मिला है।
उन्होंने बताया कि इस बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जांच कमेटी गठित की। जांच में कुलदीप, अनिल और राकेश कुमार गुप्ता के खिलाफ गबन के आरोप साबित हो गए। पूरी जांच पांच चार्टर्ड एकाउंटेंट ने की थी। रिपोर्ट मेरे सामने जब आई तो साफ था कि मामला आपराधिक है।
अशोक गुप्ता ने कहा- मुझे हत्या की धमकी दी गई
अखिल भारतीय माथुर वैश्य के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने विरोधी गुट पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि अवांंछनीय तत्व कब्जा करने गुरुवार को पहुंचे थे। दो दिन पूर्व भी लूट के इरादे से महासभा भवन पर पहुंचे थे, नेम प्लेट तोड़ दीं, जान से मारने की धमकी दी। भवन के कार्यालय पर अपनी ड्यूटी दे रहे कर्मचारियों से काम बंद करने को कहा था। इसके खिलाफ पुलिस को तहरीर दी गयी।
उन्होंने आरोप लगाया कि गुरुवार को अवांछनीय तत्व दोबारा से कब्जे के लिए महिलाओं को भी साथ लेकर पहुंचे तो हमने पुलिस को बुला लिया। इनके साथ आईं महिलाएं भवन के अंदर घुस गयीं और कुछ देर बाद जब हमने उन्हें बाहर कर दिया तो बाहर आकर हम पर बंदी बनाने और बदतमीजी करने के आरोप लगाने लगीं। जबकि माथुर वैश्य समाज के लोग हर नारी का सम्मान करता है।
ये है अवनीश कांत गुप्ता का पक्ष
उधर माथुर वैश्य महासभा की अंतरिम टीम के अध्य़क्ष अवनीश कांत गुप्ता और महामंत्री मनोज गुप्ता का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष गुप्ता द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन न किए जाने क कारण हमें अंतरिम टीम बनानी पड़ी। यह महासभा के संविधान के अनुरूप है। जुलाई माह में अंतरिम टीम बन गई थी और विगत 26 नवंबर को इस टीम ने नए सत्र के अनरूप कार्यभार संभाल लिया था। हमारी टीम समाज के सामूहिक विवाह और एकादशी उद्यापन जैसे कार्यक्रमों की तैयारियों में लगी थी कि अशोक गुप्ता गुट ने हंगामा खड़ा कर दिया।
इसी गुट का कहना है कि जब अशोक गुप्ता से बात करने के लिए समाज की कुछ महिलाएँ भवन के अंदर गई तो उन्हें वहां बंधक बना लिया गया। अभद्रता भी की गई। यह आरोप कई महिलाओं ने भी लगाए।
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