लखनऊ एक्सप्रेसवे पर 21वें से 36वें माइल स्टोन के बीच क्यों हो रहे सड़क हादसे?
आगरा। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे की आगरा जिले की सीमा में 21वें से 36वें माइल स्टोन के बीच निरंतर हो रहे सड़क हादसों के बाद एक सवाल यह उठ रहा है कि क्या एक्सप्रेसवे के इस हिस्से में कोई ऐसी खामी तो नहीं है, जिसकी वजह से वाहन दुर्घटनाएं हो रही हैं। पिछले कुछ महीनों पर ही नजर डालें तो हादसों की एक लम्बी लिस्ट बनती है।
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बीते कल भी इस एक्सप्रेवे पर एक कार के दुर्घटनाग्रस्त होने से दो महिलाओं की मौत हो गई थी। हालांकि ये दुर्घटना एक्सप्रेसवे के जिस 40वें माइल स्टोन के पास हुई, वह फिरोजाबाद जिले की सीमा में आता ह। यह दुर्घटना बृहस्पतिवार को दोपहर करीब 3:00 बजे हुई थी, जब एक कार अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकराकर पलट गई। कार में सवार लोग कुम्भ में स्नान कर दिल्ली वापस लौट रहे थे। दुर्घटना में बुराड़ी दिल्ली निवासी अनंत कुमार पुत्र रमेश झा, सुमित ठाकुर पुत्र रमेश झा, आरव पुत्र सुमित, शिवन्या पुत्री अमित लक्ष्मी देवी पत्नी सुमित घायल हुए जबकि आशा देवी पत्नी लक्ष्मण ठाकुर और रेखा पत्नी अशोक कुमार की मौके पर मौत हो गई थी।
इस दुर्घटना से एक बार फिर से सड़क सुरक्षा का सवाल उठा है। एक्सप्रेसवे पर आगरा जिले की सीमा जो फतेहाबाद थाना क्षेत्र में ज्यादा है, में पिछले महीनों में इसी तरह के बहुत से हादसे हुए हैं। प्रथम दृष्टया यह मानकर कि चालक को झपकी आ गई होगी, जिसकी वजह से वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुए, इतिश्री कर ली जाती है।
यहां गौर करने की बात यह है कि फतेहाबाद क्षेत्र में जितने भी सड़क हादसे हुए हैं, वे अल सुबह होते हैं। आधी रात के बाद सुबह के बीच होने वाले हादसो में ड्राइवर को झपकी आने की बात समझ में आती है। अगर हादसों का यही कारण है तो यूपीडा को कुछ तो ऐसे कदम उठाने चाहिए ताकि इस एरिया में प्रवेश करने से पहले ही ड्राइवरों को सचेत किया जा सके।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे हो या फिर आगरा नोएडा एक्सप्रेसवे, दोनों पर पिछले कुछ दिनों में सड़क हादसों की संख्या बढ़ने की एक वजह यह भी है कि महाकुम्भ के कारण वाहनों की संख्या बहुत बढ़ी हुई है। दोनों एक्सप्रेसवे पर गुजरने वाले वाहनों की संख्या में सामान्य दिनों के मुकाबले कई गुना वृद्धि हुई है। इसे देखते हुए भी दोनों एक्सप्रेसवे की अथॊरिटी को इस ओर ध्यान देना चाहिए ताकि हादसों पर नियंत्रण पाया जा सके।