हरियाणा का वो दिग्गज नेता जिसके लिए ये चुनाव चुभन बन गया, कौन है जिसने सियासी अखाड़े में बेटों और नातियों के बीच दंगल देखा, क्या रिश्तों में दरार डाल रही 'कुर्सी' ?

हरियाणा का विधान सभा चुनाव निजी तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के लिए कष्टदायी ही कहा जाएगा क्योंकि इसमें उन्होंने अपनी आंखों से अपने बेटों और नातियों को आपस में राजनीतिक के अखाड़े में एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकते देखा।

Oct 11, 2024 - 14:38
Oct 11, 2024 - 14:54
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हरियाणा का वो दिग्गज नेता जिसके लिए ये चुनाव चुभन बन गया, कौन है जिसने सियासी अखाड़े में बेटों और नातियों के बीच दंगल देखा, क्या रिश्तों में दरार डाल रही 'कुर्सी' ?
इस तस्वीर को गौर से देखिए। ये हैं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के पुत्र डा. अजय चौटाला और अभय चौटाला। यह फोटो ताजा नहीं बल्कि पुराना है, क्योंकि आज के हालात में ये दोनों भाई इस तरह गले मिलते शायद ही दिखें।


एसपी सिंह
चंडीगढ़। हरियाणा का इस बार का विधान सभा चुनाव इस राज्य के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को कुछ ऐसी चुभन देकर गया है जो उन्हें लम्बे समय तक सालती रहेगी। सत्ता से 20 साल दूर रहने के बाद ओम प्रकाश चौटाला इस बार के चुनाव को लेकर बहुत सारी उम्मीदें पाले रहे होंगे। सत्ता में वापसी के लिए उनकी पार्टी इनेलो ने बसपा से चुनावी समझौता भी किया। लगभग चार फीसदी वोट के साथ उनकी पार्टी मात्र एक सीट ही बढ़ा पाई। पहले उनका एक विधायक था और अब दो हैं। इनमें से एक ओम प्रकाश चौटाला का नाती है तो दूसरा भतीजा। 

इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) के संस्थापक ओम प्रकाश चौटाला के लिए यह चुनाव व्यक्तिगत रूप से देखें तो अंदरूनी तौर पर बहुत उतार चढ़ाव वाला रहा है। चौटाला खुद तो इस चुनाव से दूर रहे क्योंकि अस्वस्थ होने के कारण वे बेड रेस्ट कर रहे हैं। हां, उन्होंने अपने दो बेटों और बेटों के भी बेटों को एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकते हुए देखा। अपने बच्चों को आपस में लड़ते देखना किसी भी पिता के लिए अच्छा नहीं हो सकता। बेटों की इस आपसी जंग में उनके दोनों ही बेटों के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है। 

एक पिता अपनी आंखों के सामने अपने बेटों और नाती-नातिनों को लड़ते हुए देखे तो उससे होने वाले दुख को वही व्यक्ति बयां कर सकता है। ओम प्रकाश चौटाला के दो बेटे अपनी अलग-अलग पार्टियां चला रहे हैं। बड़े बेटे डा. अजय चौटाला ने पिता और छोटे भाई अभय चौटाला से बगावत कर पिछले चुनाव में अपनी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) बना ली थी। पिछले चुनाव में ओम प्रकाश चौटाला ने अपने छोटे बेटे अभय चौटाला का ही साथ दिया था, लेकिन उनकी इनेलो को तगड़ा झटका लगा था। इनेलो को मात्र एक सीट मिली थी। 

उधर पहली बार चुनाव मैदान में उतरी जेजेपी ने पिछली बार दस सीटें हासिल कर सभी को चौंका दिया था। डा. अजय चौटाला ने अपने दस विधायकों के साथ भाजपा की दूसरी सरकार बनवाने में मदद की। बदले में अपने बेटे दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम की कुर्सी पर बैठाया। 

इस बार के चुनाव में ओम प्रकाश चौटाला के परिवार के दो सदस्य रनियां से अर्जुन चौटाला और डबबाली से आदित्य चौटाला विधायक चुने गए हैं। इनमें अर्जुन चौटाला ओम प्रकाश चौटाला के नाती हैं जबकि आदित्य चौटाला उनके भतीजे यानि ओम प्रकाश चौटाला के भाई जगदीश चौटाला के पुत्र। इनेलो के अन्य सभी प्रत्याशी हार गए। 

उधर ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे डा. अजय चौटाला के दल जेजेपी को इस चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। जिस जेजेपी ने पिछले चुनाव में दस सीटें हासिल कर सत्ता में भागेदारी हासिल कर ली थी, वह इस बार लगभग एक फीसदी वोट ही हासिल कर पाई। चुनाव नतीजों के बाद जेजेपी के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। 

हरियाणा की राजनीति में ओम प्रकाश चौटाला एक बड़ा नाम है। हरियाणा में ताऊ के नाम से मशहूर दिवंगत नेता चौधरी देवीलाल के बड़े बेटे हैं ओम प्रकाश चौटाला। चौधरी देवीलाल के डिप्टी पीएम बनने के बाद ओम प्रकाश चौटाला को हरियाणा की गद्दी नसीब हुई थी। कहा जाता है कि उस समय चौधरी देवीलाल के उत्तराधिकारी के तौर पर उनके एक अन्य बेटे रंजीत चौटाला का नाम लिया जाता था क्योंकि रंजीत चौटाला ही उस समय राजनीति में थे और ताऊ की कैबिनेट में कृषि मंत्री थे। 

ताऊ देवीलाल के डिप्टी पीएम बनने के बाद रंजीत चौटाला ने विधायकों को एकजुट कर मुख्यमंत्री पद पर दावा पक्का कर लिया था, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे मात्र पांच विधायकों के समर्थन वाले ओम प्रकाश चौटाला। अतीत को देखें तो ओम प्रकाश चौटाला ने अपने भाई को साइड कर कुर्सी हथियाई थी। 

कोई भी इंसान जब अपने भाई को ही साइड लाइन करता है तो उसके पीछे शायद यही सोच होती है कि वह अपने बच्चों के लिए बहुत कुछ कर जाए। ओम प्रकाश चौटाला ने अपने भाई रंजीत चौटाला को अपने जिन बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए साइड लाइन किया था, वही बच्चे ( दोनों बेटे) और बच्चों के बच्चे (नाती-नातिन) एक-दूसरे के सामने राजनीतिक दुश्मन की तरह खड़े दिख रहे हैं। रिश्तों में तल्खियां हैं। और यह सब कुछ हो रहा है ओम प्रकाश चौटाला की आंखों के सामने। 

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