कोलकाता रेप-मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- महिला डॉक्टरों को नाइट शिफ्ट से नहीं रोक सकते, उन्हें सुरक्षा देना सरकार का काम
कोलकाता। यहां के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नौ अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने रातिरेर साथी योजना के तहत महिला डॉक्टरों की नाइट ड्यूटी खत्म करने के फैसले पर बंगाल सरकार को फटकार लगाई।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आप कैसे कह सकते हैं कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकतीं? उन्हें कोई रियायत नहीं चाहिए। सरकार का काम उन्हें सुरक्षा देना है। पायलट, सेना जैसे सभी प्रोफेशन में महिलाएं रात में काम करती हैं।
कोर्ट ने विकिपीडिया को मृत ट्रेनी डॉक्टर का नाम और तस्वीर हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि रेप पीड़ित की पहचान का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए। पीड़ित के माता-पिता के वकील ने कोर्ट में कहा था कि विकिपीडिया ने नाम और तस्वीर हटाने से इनकार कर दिया है। साइट का कहना है कि इसे सेंसर नहीं किया जा सकता।
दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगाने की मांग की। सिब्बल ने कहा कि बंगाल सरकार का पक्ष रखने वाले वकीलों को सोशल मीडिया पर रेप और एसिड अटैक की धमकियां मिल रही हैं।
हालांकि सीजेआई ने कहा कि कोर्ट लाइव स्ट्रीमिंग बंद नहीं करेगा क्योंकि यह जनहित का मुद्दा है। अगर किसी को ऐसा कोई खतरा है तो हम कदम उठाएंगे।
सीजेआई ने कहा कि अस्पतालों में 18-23 साल की डॉक्टर्स काम रहीं, वहां पुलिस होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य लोगों की सुरक्षा के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर प्राइवेट एजेंसियों के सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम रहे लोगों को सात दिन की ट्रेनिंग दी जाती है और वे पूरे अस्पताल में घूमते हैं। इनके जरिए सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है।
कोर्ट ने कहा कि रेप-मर्डर मामले का मुख्य आरोपी भी एक सिविक वॉलंटियर ही है। बंगाल में 28 सरकारी अस्पताल हैं। वहां 18-23 साल की युवा डॉक्टर लड़कियां काम कर रही हैं। वहां कॉन्ट्रैक्ट पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। यह पूरी तरह से असुरक्षित है। सीजेआई ने कहा कि राज्य को सरकारी अस्पतालों में पुलिस तैनात करने चाहिए।
इसके साथ ही सीजेआई ने कहा कि जांच पूरी होने में अभी वक्त है। हमें सीबीआई को पर्याप्त समय देना होगा, वे सोते नहीं रहेंगे। उन्हें सच्चाई सामने लाने के लिए समय दिया जाना जरूरी है। सीबीआई को कुछ अहम इनपुट मिले हैं। हम उसे सार्वजनिक नहीं कर सकते। यह गोपनीय है।
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