स्त्री को वस्तु नहीं सहभागी मानकर खत्म होगी हिंसा
आगरा। सामाजिक विषमताओं में मानवीय दुर्गुणों के साथ दूषित मानवीय भावनाएं भी विकसित होती हैं जो सैक्स जैसी आनंद दाई भावना को हिंसा के साथ जोड़ कर महसूस कर पाते हैं, ऐसे मॉलेस्टर हम में से कोई अलग नही है वह हम में से कोई भी हो सकता है।
स्त्री को वस्तु की तरह मानने वाले लोग ही हिंसा सहित सेक्स की गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
यह विचार वरिष्ठ मनोरोग चिकित्सक प्रो के सी गुरनानी ने मुख्य वक्ता के रूप में 73 वें जितेन्द्र रघुवंशी स्मरण व्याख्यान समारोह में व्यक्त किए
स्टेट काउंसलर, 1090 महिला हेल्प लाइन व वरिष्ठ एडवोकेट नम्रता मिश्रा ने विशिष्ठ वक्ता के रूप में कहा कि सामाजिक रूप से पुरुष सत्ता के कारण शोषण कर्ता बनते हैं. सामाजिक परिवर्तन के मुख्य तत्वों को ध्यान में रख कर कानून का उपयोग करना होगा और उनका दुरुपयोग रोकना होगा। अच्छा नागरिक बनाने के लिये अच्छा अभिभावक बनने की जरुरत है ।
कार्यक्रम का आरंभ कॉमरेड जितेंद्र रघुवंशी जी के चित्र पर माल्यार्पण करके हुआ, कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रो.ज्योत्सना रघुवंशी ने दिवंगत और रंगकर्मियों को याद किया। कथादेश संपादक श्री हरिनारायण जी ने वक्ताओं का स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया।आभार प्रदर्शन श्रीमती भावना रघुवंशी व मानस रघुवंशी जी ने किया।
डॉ जे एन टंडन, कथादेश संपादक हरिनारायण, रंगकर्मी अनिल जैन, वरिष्ठ पत्रकार ओम ठाकुर, सी पी आई से पूर्व प्रधान पूरन सिंह,
एम पी दीक्षित, तारा चंद, नीरज मिश्रा , दिनेश खोसला, दिनेश सन्यासी, भोला नाथ सिंह,प्रमोद सारस्वत, विशाल रियाज, नीतू दीक्षित, एडवा से किरन सिंह, प्रभजोत कौर, मुक्ति किंकर,आदर्श लवानिया, डॉ.महेश धाकड़, आत्मीय इरम, जितेंद्र कुमार,अरुणेश सिंह मनीष सिंह, हिमानी चतुर्वेदी, राम भारत, अभिजीत , मुदित एवम विजय उपस्थित थे।
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