बद्दी की दवा फैक्टरी में नौकरी के दौरान सीखा विजय ने नकली व नशे की दवा बनाना
विजय गोयल नकली व नशे की दवाओँ का पुराना खिलाड़ी है। पहले यह फेंसीड्रिल सिरप बनाते हुए पकड़ा गया है। फेंसीड्रिल सिरप का प्रयोग बांगलादेश में नशे के लिए किया जाता है। पश्चिम बंगाल में एक बड़ा नेटवर्क है जो इस सिरप को भारत से बा्ंग्लादेश भेजता है।
आगरा। नकली दवाओं के गढ़ के रूप में कुख्यात आगरा के दवा बाजार में नित नए कारनामे सामने आ रहे हैं। अभी तक तो आगरा में जितने गेंग सक्रिय थे वे इन नशे की दवाओँ की ट्रेडिंग कर रहे थे। नशे की दवा बनाने की फैक्ट्री के मामले में यह दूसरा मामला सामने आया है। पहले भी यही विजय गोयल फेंसीड्रिल सिरप बनाते हुए पकड़ा गया था।
पता चला है कि विजय गोयल नामक यह व्यक्ति कुछ साल पहले बद्दी (हिमाचल प्रदेश) में किसी दवा फैक्टरी में काम करता था। बता दें कि बद्दी टैक्स फ्री जोन होने के कारण दवा फैक्टरियों का बहुत बड़ा केंद्र है।
बद्दी में दस बारह साल की नौकरी के दौरान ही विजय गोयल ने नशीली दवा बनाने के कांबीनेशन सीखे। अक्सर नशे की दवा बनाने और बेचने वाले ट्रामाडोल, एल्प्राजोलाम, स्पास्मो, डाइजापाम जैसे दर्दनिवारक व नींद व एंग्जाइटी की दवाएं और उनके कांबीनेशन बनाकर ऊंची कीमत में नशे के लिए बेचते हैं। इन कांबीनेशन से बनी दवाओँ की पंजाब और पश्चिम बंगाल में बहुत डिमांड है।
यहां यह तथ्य गौरतलब है कि दवा बनाने की मशीनें आगरा में नहीं बनती नाहीं बिकती हैं। फेंसीड्रल सिरप बनाने की मशीन भी विजय गोयल ने बद्दी से ही खरीदी थी।
पता चला है कि विजय गोयल इन नशीली दवाओं को फुव्वारा स्थित किसी गुप्ता नामक व्यक्ति को बेचता था। इस गुप्ता की कोई दुकान फुव्वारे पर नहीं है पर इसने एक गोदाम किराए पर ले रखा है तथा नारकोटिक्स की दवाओँ का इसे माफिया कहा जाता है। यह व्यक्ति बाजार में घूमकर ही व्यापार करता है।
यही नहीं कुछ अन्य लोग भी प्रसिद्ध कंपनियों की नकली दवाएं बनवाकर बाजार में खपा रहे हैं।
खिलाड़ी तो और भी हैं
ऐसा ही एक नकली दवा कारोबारी मोहित बंसल नाम का व्यक्ति है जो थाना कमलानगर क्षेत्र का निवासी है तथा कमलानगर की राम कुंज नामक कालोनी का निवासी है। मोहित नामक यह युवक 20 नवंबर 2022 में अपने साले के साथ हिमाचल के बद्दी में नकली व नारकोटिक्स की दवाओं के साथ पकड़ा गया था। इसका गोदाम भी बद्दी पुलिस ने बद्दी में सील किया था। इसने बताया था कि फुव्वारे पर एमएच फार्मा की दुकान के माध्यम से यह अपनी नकली व नशे की दवाएं बेचता है। पौने दो साल जेल में रहकर यह अभी कुछ दिन पहले जमानत पर बाहर आया है। जमानत भी इसे अपनी मां के कैंसर का मरीज होने का प्रमाण देने पर मिली है। इसका साला अभी हिमाचल में ही जेल में है। इसे भी ड्रग विभाग में दवा माफिया के नाम से जाना जाता है। ऐसे लोगों की निगरानी की जरूरत है कि जमानत पर आने के बाद अब यह क्या कर रहे हैं। दवा बाजार में अभी भी कई बड़ी कंपनियों की दवाएं बनवाकर खपाई जा रही है। ( नीचे लगी फोटो उस खबर की है जो बद्दी में प्रकाशित हुई जिसमें मोहित बंसल को गिरफ्तार बताया है।)
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