सेब के भाव टमाटर, तोरई और गोभी ने भी आंखें दिखाईं, सब्ज्यिों ने छुआ आसमान
आगरा। दो दिन में कितना अंतर आ सकता है यह आपको कल और आज के बीच सब्जियों के दामों में आए अंतर से पता लग जाएगा। पितृ पक्ष शुरू होते ही सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं। टमाटर सेब के भाव बिक रहा है और तोरई, गोभी जैसी सब्जियों भी आंखें दिखा रही हैं।
पितृ पक्ष शुरू होते ही पितरों को तर्पण देने का सिलसिला शुरु हो जाता है। लोग तर्पण देने के साथ ही घरों में पूर्वजों का स्मरण करते हुए पूजन करते हैं। पितृ पक्ष पर 15 दिनों तक पितरों को तर्पण दिया जाता है। पूर्वजों की तिथि अनुसार उनका स्मरण, पूजन और उनके नाम पर लोगों को भोजन कराने की परंपरा है। प्राचीन मान्यतानुसार कौवों के लिए भोजन का हिस्सा निकाला जाता है। पितृ तर्पण के लिए बनाए जाने वाले भोजन में तोरई होना आवश्यक होता है जिसके चलते बाजार में तोरई के दाम अचानक बढ़ गए हैं।
कल और आज में आया फर्क
केवल तोरई ही नहीं परसों तक जो टमाटर 40 और 50 रूपये किलो था वह अब 80 से 100 रूपये किलो के बीच है। हरी सब्जियों के दामों में भी अचानक उछाल आया है। इनके दाम लगभग दोगुने हो गए हैं। मूली 100 रूपये किलो बिक रही है। वहीं गोभी के दाम 140 रूपये किलो से 180 रूपये किलो के बीच हैं। बैगन का आज का भाव 80 से 100 रूपये किलो, तोरई और टिंडे का दाम भी लगभग इतना ही है। अरवी 60 से बढ़कर 100 रूपये किलो पहुंच गई है। सब्जी के साथ फ्री में मिलने वाला धनिया 40 रूपये का 100 ग्राम और अदरक 40 रूपये की ढाई सौ ग्राम मिल रही है।
रसोई का बजट गड़बड़ाया
अचानक सब्जी के दाम बढ़ने से रसोई का बजट गड़बड़ाने लगा है। गृहिणी प्रिया का कहना है कि सब्जी एवं टमाटर की कीमतें चिंता का विषय है। हर साल ऐसा ही होता है और इस पर लगाम लगाने का प्रयास विफल हो जाते हैं। गृहिणी मनीषा ने कहा कि टमाटर एवं अन्य सब्जियों की बढ़ती कीमत से रसोई का बजट बिगड़ जाता है जिसकी भरपाई के लिए अन्य राशन के समान में कटौती करनी पड़ती है। इधर फुटकर सब्जी विक्रेता मोहन का कहना है कि बड़ी मंडी से सब्जी महंगी ला रहे हैं। ऐसे में हमें भी दाम बढ़ाने पड़ते हैं। नहीं तो खर्चे भी नहीं निकलेंगे।
तोरई का विशेष महत्व
बताया जाता है कि पितृपक्ष में तोरई सब्जी का विशेष महत्व है। प्राचीन लोक परंपरानुसार तोरई के पत्तों से ही पितरों को अर्ध्य दिया जाता है। तोरई के पत्ते पर रखकर ही भोजन दिया जाता है और पकवानों में तोरई का भजिया, सब्जी बनाई जाती है। यह परंपरा अर्से से चली रही है। लिहाजा इन पंद्रह दिनों में तोरई की खासी मांग रहती है।
नया काम शुरू नहीं करते
पितृपक्ष में लोग नए काम की शुरूआत नहीं करते। नए कार्य की शुरूआत अनुष्ठान आदि नहीं करते। यहां तक कि लोग दाढ़ी, बाल बनाने में भी परहेज करते है। इन दिनों पित्तरों की याद में पूजा पाठ की जाती है।
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