संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग को क्वाड का समर्थन, अमेरिका ने भारत को स्थान देने की जरूरत बताई
वॉशिंगटन। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार का मुद्दा लंबे समय से दुनिया के सामने है। ये मामला अमेरिका में हालिया क्वाड समिट के दौरान भी उठा। क्वाड नेताओं ने यूएनएससी की सीटें बढ़ाने और इस निकाय को ज्यादा जवाबदेह बनाने के लिए इसमें सुधार का आह्वान किया है। क्वाड नेताओं ने अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन देशों को यूएनएससी में स्थायी सदस्यता का दिए जाने की मांग की है। भारत के लिए ये अहम है क्योंकि उसकी ओर से बीते कई वर्षों से यूएनएससी में स्थायी सीट की मांग की जा रही है। क्वाड समिट के बाद कहा गया है कि हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करेंगे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता की स्थायी और गैर-स्थायी श्रेणियों में विस्तार के माध्यम से इसे और अधिक प्रतिनिधि, समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने की तत्काल जरूरत है। स्थायी सीटों के इस विस्तार में अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन का प्रतिनिधित्व शामिल होना चाहिए। अमेरिका ने यूएनएससी में भारत की स्थायी सीट की मांग का भी समर्थन किया है। बाइडन ने प्रधानमंत्री मोदी से बैठक में कहा है कि अमेरिका भारत की महत्वपूर्ण आवाज को प्रतिबिंबित करने के लिए वैश्विक संस्थानों में सुधार की पहल का समर्थन करता है। इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता भी शामिल है। यूएनएससी में सुधार की मांग काफी वर्षों से की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नवंबर 2022 में सुरक्षा परिषद सुधार पर अपनी चर्चा समाप्त की थी। उस समय इसके सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए 15 सदस्यीय निकाय को आधुनिक बनाने पर सहमत हुए थे। यूएनएससी द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए प्रस्ताव पारित करने में विफल रहने के बाद कुछ स्थायी सदस्यों के पास वीटो शक्ति पर भी सवाल उठाए गए थे। परिषद की सदस्यता पर कई सदस्य देशों ने स्थायी और गैर-स्थायी दोनों सदस्य श्रेणियों के विस्तार का भी समर्थन किया था। इसके अतिरिक्त कई वक्ताओं ने अफ्रीका के लिए अधिक सीटें जोड़ने की भी मांग की थी। स्थायी सदस्य फ्रांस के प्रतिनिधि ने भी स्थायी सदस्यता के लिए ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान की उम्मीदवारी के साथ-साथ अफ्रीकी देशों के मजबूत प्रतिनिधित्व का समर्थन किया था। अक्टूबर 2023 में शुरू हुए इजरायल-गाजा युद्ध के बाद यूएनएससी में सुधार और विस्तार की मांग नए सिरे से की जा रही है। यूएनजीए के पूर्व अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा था कि दुनियाभर के क्षेत्रों में हिंसा और युद्ध फैल रहा है और सुरक्षा परिषद में बड़े पैमाने पर विभाजन के चलते संयुक्त राष्ट्र पंगु हो गया है। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने भी अपने बयानों में दोहराया कि सुधार पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गए हैं।
क्वाड समिट के बाद कहा गया है कि हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करेंगे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता की स्थायी और गैर-स्थायी श्रेणियों में विस्तार के माध्यम से इसे और अधिक प्रतिनिधि, समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने की तत्काल जरूरत है। स्थायी सीटों के इस विस्तार में अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन का प्रतिनिधित्व शामिल होना चाहिए।
अमेरिका ने यूएनएससी में भारत की स्थायी सीट की मांग का भी समर्थन किया है। बाइडन ने प्रधानमंत्री मोदी से बैठक में कहा है कि अमेरिका भारत की महत्वपूर्ण आवाज को प्रतिबिंबित करने के लिए वैश्विक संस्थानों में सुधार की पहल का समर्थन करता है। इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता भी शामिल है।
यूएनएससी में सुधार की मांग काफी वर्षों से की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नवंबर 2022 में सुरक्षा परिषद सुधार पर अपनी चर्चा समाप्त की थी। उस समय इसके सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए 15 सदस्यीय निकाय को आधुनिक बनाने पर सहमत हुए थे। यूएनएससी द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए प्रस्ताव पारित करने में विफल रहने के बाद कुछ स्थायी सदस्यों के पास वीटो शक्ति पर भी सवाल उठाए गए थे।
परिषद की सदस्यता पर कई सदस्य देशों ने स्थायी और गैर-स्थायी दोनों सदस्य श्रेणियों के विस्तार का भी समर्थन किया था। इसके अतिरिक्त कई वक्ताओं ने अफ्रीका के लिए अधिक सीटें जोड़ने की भी मांग की थी। स्थायी सदस्य फ्रांस के प्रतिनिधि ने भी स्थायी सदस्यता के लिए ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान की उम्मीदवारी के साथ-साथ अफ्रीकी देशों के मजबूत प्रतिनिधित्व का समर्थन किया था।
अक्टूबर 2023 में शुरू हुए इजरायल-गाजा युद्ध के बाद यूएनएससी में सुधार और विस्तार की मांग नए सिरे से की जा रही है। यूएनजीए के पूर्व अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा था कि दुनियाभर के क्षेत्रों में हिंसा और युद्ध फैल रहा है और सुरक्षा परिषद में बड़े पैमाने पर विभाजन के चलते संयुक्त राष्ट्र पंगु हो गया है। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने भी अपने बयानों में दोहराया कि सुधार पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गए हैं।
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