संजय जोशी की सुरक्षा बढ़ने के मायने समझिए, क्या पावर संग लौट रहे भाजपा में?

भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) संजय जोशी इन दिनों चर्चा में हैं। केंद्र सरकार ने उनकी सुरक्षा बढ़ा दी है। इसके बाद से ही इसके मायने निकाले जा रहे हैं। संकेत हैं कि संजय जोशी की 12 साल के बाद भाजपा में फिर से वापसी होने जा रही है। पूरी ताकत के साथ।

Oct 6, 2024 - 12:32
Oct 6, 2024 - 12:45
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संजय जोशी की सुरक्षा बढ़ने के मायने समझिए, क्या पावर संग लौट रहे भाजपा में?

एसपी सिंह
नई दिल्ली। लम्बे समय से हाशिए पर चले आ रहे भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) संजय जोशी की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। जोशी की सुरक्षा बढ़ाने के कुछ मायने हैं। इसके संकेत समझिए। सूत्रों की जानकारी है कि संजय विनायक जोशी पूरी पावर लेकर भाजपा में लौटने जा रहे हैं। संघ के दखल के बाद जोशी की वापसी हो रही है। 

संजय जोशी संघ से 1998 में भाजपा में आए थे। वर्ष 2001 से 2005 तक भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) रहे थे। संजय जोशी के कार्यकाल के दौरान नितिन गडकरी भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे थे। 2005 में संजय जोशी के बाद राष्ट्रीय महामंत्री संगठन का पद रामलाल के पास आ गया था और संजय जोशी भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मेंबर बना दिए गए थे। 

कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत अच्छे मित्र रहे संजय जोशी को हाशिये पर डाले जाने के लिए भी पीएम मोदी का ही नाम लिया जाता है। 1998 में गुजरात में जब भाजपा जीती थी, तब संजय जोशी वहां के प्रभारी थे। नरेंद्र मोदी भी उस समय गुजरात में ही सक्रिय थे। 98 की जीत के बाद नरेंद्र मोदी को गुजरात से हटाकर हरियाणा और दिल्ली का काम देखने के लिए भेज दिया गया था। 

ऐसा कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी को लगा कि उन्हें संजय जोशी की वजह से ही गुजरात से हटाया गया है। यहीं से दोनों मित्रों के बीच दूरियां पैदा होने लगीं और ये समय के साथ बढ़ती ही चली गईं। 2012 तक संजय जोशी भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मेंबर थे। 

बताते हैं कि उस समय गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी पर दबाव बनाया कि वे संजय जोशी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाएं। नरेंद्र मोदी का दबाव काम आया और संजय जोशी से राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य पद से इस्तीफा मांग लिया गया। इसके बाद से ही संजय जोशी हाशिए पर चले आ रहे थे। 

बीते कल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जब संजय विनायक जोशी की सुरक्षा बढ़ाने का आदेश जारी किया तो हर कोई चौंक उठा। इसके मायने निकाले जाने लगे। हर कोई सोचने लगा कि मोदी सरकार के रहते यह कैसे संभव हुआ। 

दरअसल संजय जोशी की सुरक्षा ऐसे ही नहीं बढ़ाई गई है। भाजपा सूत्रों की मानें तो संजय जोशी की एक बार फिर भाजपा में वापसी होने जा रही है। वह भी पूरी पावर के साथ। वैसे तो पिछले कुछ समय से उनका नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में भी चल रहा है, लेकिन अगर ऐसा न हुआ तो राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) के पद पर उनकी वापसी तो तय ही मानी जा रही है। 

2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को लगे झटके के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दखल के बाद संजय जोशी की फिर से वापसी हो रही है। चुनाव के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संघ के बारे में यह कहकर विवाद पैदा कर दिया था कि भाजपा को अब संघ के सहयोग की जरूरत नहीं। इस बयान से संघ के स्वयंसेवकों को झटका लगा था। 

आडवानी का इस्तीफा कराया था

संजय विनायक जोशी भाजपा का वह नाम है जिन्होंने भाजपा अध्यक्ष पद से लालकृष्ण आडवाणी का इस्तीफा कराया था। पाकिस्तान दौरे के समय लालकृष्ण आडवाणी ने जब मोहम्मद अली जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष बताया था तो भाजपा और संघ में खलबली मच गई थी। आडवाणी द्वारा पाकिस्तान से जारी किए गए प्रेस स्टेटमेंट को भाजपा ने भारत में जारी होने से रोक दिया था। 

आडवाणी की वापसी के बाद भाजपा के तत्कालीन महासचिवों ने एक बैठक की और आडवाणी के बयान पर मंथन किया। महासचिवों ने तय किया था कि आडवाणी से इस्तीफा मांग लिया जाए क्योंकि आडवाणी अपने बयान से पलटने को तैयार नहीं था। इसका दायित्व संजय जोशी को दिया गया था। संजय जोशी ने आडवाणी के आवास पर जाकर उनसे इस्तीफा लिखवाया था। 

क्या दूरियां खत्म हो गई हैं?

संजय जोशी ने पिछले दिनों एक बयान दिया था कि नरेंद्र मोदी मेरे नेता हैं। इस बयान के भी मतलब निकाले गए। कहा जा रहा है कि संघ नेतृत्व ने संजय जोशी की भाजपा में वापसी कराने से पहले उनके और पीएम मोदी की दूरियां भी खत्म कराई हैं। 

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SP_Singh AURGURU Editor