पैदा होते ही मां—बाप ने छोड़ा, एनजीओ में परवरिश पाकर भी इंजीनियर बने, फतेहपुर सीकरी पहुंचे सोहना और मोहना ने सिखाया कि हौसले की कोई हद नहीं होती...

फतेहपुरी सीकरी। दो चेहरे पर धड़ एक, दो पैर पर हाथ चार। यूं तो हर रोज सैकड़ों लोग दुनिया के सबसे बुलंद दरवाजे को देखने फतेहपुर सीकरी आते हैं, लेकिन इस बार आए मेहमान सबसे अलग थे। यह अजीब तरह से एक—दूसरे से जुड़े थे और लोग इन्हें देखकर हैरान थे। देखते ही देखते पूरे क्षेत्र में हलचल सी मच गई थी। हर कोई जुड़वां भाईयों की कहानी जानना चाहता था जो एक जिस्म पर दो जान थे। ये शख्स आखिर थे कौन ? सोहना और मोहना की कहानी इंस्पायर कर गई।

Sep 20, 2024 - 19:08
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पैदा होते ही मां—बाप ने छोड़ा, एनजीओ में परवरिश पाकर भी इंजीनियर बने, फतेहपुर सीकरी पहुंचे सोहना और मोहना ने सिखाया कि हौसले की कोई हद नहीं होती...

ऐतिहासिक नगरी फतेहपुर सीकरी में 20 सितंबर 2024 को विकलांग दो भाई सोहना व मोहना निवासी अमृतसर पंजाब मुगल इमारत देखने को पहुंचे। विश्व विख्यात बुलंद दरवाजे को निहारा। एक बदन दो जान जुड़वा भाइयों को देखकर हर कोई हैरान था उनके बारे में जानना चाहता था। 


सोहना और मोहना का जीवन कुछ ऐसा है कि दोनों हर एक पल साथ ही रहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों लोगों का शरीर एक ही है। चेहरे दो हैं, हाथ दो-दो हैं लेकिन शरीर एक ही हैं। इन दोनों जुड़वा भाइयों के दो दिल, दो जोड़ी गुर्दे, दो जोड़ी हाथ और रीढ़ की हड्डी है लेकिन एक ही लीवर, पित्ताशय, प्लीहा और एक जोड़ी पैर है।बावजूद इसके ये लोग आम इंसान की तरह ही अपना गुजारा कर रहे हैं।


दोनों जुड़वां भाइयों का जन्म 2003 में नई दिल्ली के सुचेता कृपलानी अस्पताल में हुआ था। जन्म के बाद इन्हें इनके माता-पिता ने छोड़ दिया था। बाद में उन्हें एम्स में ट्रांसफर कर दिया गया। हालांकि वहां एक की जान पर खतरा होने के कारण डॉक्टरों ने इन्हें अलग-अलग करने का फैसला नहीं किया।

जन्म से ही शरीर से जुड़े होने के बाद डॉक्टरों ने कहा था कि दोनों ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रह सकेंगे। उनके माता-पिता ने भी उन्हें छोड़ दिया। लेकिन अमृतसर स्थित एक एनजीओ ने उनकी परवरिश की, जिसका असर ये हुआ कि दोनों की नौकरी लग गई और अब दोनों अपना पालन पोषण खुद ही कर रहे हैं। 

दोनों भाइयों की स्टोरी सुनकर फतेहपुर सीकरी के लोगों की आंखें भी नम हो गईं। माता-पिता ने बच्चों को लावारिस छोड़ दिया इसके बाद उनकी परवरिश अनाथ आश्रम में हुई। जिंदगी से दोनों भाईयों ने हार नहीं मानी उम्र के बढ़ते पड़ाव और दुनिया की चकाचौंध को देखते हुए उन्होंने कुछ बनने की ठानी उन्होंने शिक्षा ग्रहण की इलेक्ट्रिक इंजीनियर बने। 
    
वर्ष 2023 में दोनों भाइयों की नियुक्ति पंजाब इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन लिमिटेड में जूनियर इंजीनियर की पद पर हो गई। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन कर अलग करने को मन बनाया लेकिन विशेषज्ञों की टीम ने जान जोखिम में देखकर ऑपरेशन नहीं किया और दोनों भाई दो पैर पर ही दो धड़ शरीर के जीवन से संघर्ष करते हुए जिंदगी जी रहे हैं। 
    
यूट्यूब चैनलों के माध्यम से दोनों भाई की स्टोरी पूरे विश्व में देखी जाती है उनके जीवन और संघर्ष से लोग प्रेरणा लेते हैं। अपने आप को ईश्वर की अनुकंपा से सेलिब्रिटी से कम नहीं मानते।

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SP_Singh AURGURU Editor