सीरिया में तुर्की ने कुर्द बलों पर किया हमला
दमिश्क। सीरिया में गृहयुद्ध के बीच तुर्की ने कुर्द बलों पर हमला किया है। यह हमला पूर्वी अलेप्पो प्रांत में हुआ है। तुर्की की सेना और तुर्की समर्थित मिलिशिया ने अमेरिका समर्थित कुर्द बलों, एसडीएफ पर हमला किया। तुर्की और अमेरिका दोनों ही असद सरकार के विरोधी रहे हैं लेकिन कुर्दों के मुद्दे पर दोनों के हित अलग हैं। अमेरिका कुर्दों को आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई में सहयोगी मानता है। वहीं तुर्की कुर्दों को आतंकवादी संगठन पीकेके से जोड़ता है। तुर्की सरकार पीकेके को अपनी जमीन पर आतंक फैलाने का जिम्मेदार ठहराता है।
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन स्थित युद्ध निगरानी संस्था एसओएचआर और कुर्द बलों ने बताया है कि तुर्की सेना और तुर्की समर्थित मिलिशिया ने पूर्वी अलेप्पो प्रांत में अमेरिका समर्थित कुर्द बलों पर हमला किया। असद के सत्ता से हटने के बाद सीरिया में अराजकता और अनिश्चितता के बीच तुर्की ने कुर्दों के खिलाफ ये नया मोर्चा खोला है। कुर्द एएएनईएस के तहत उत्तरपूर्वी सीरिया को नियंत्रित करता है और अमेरिका का खास सहयोगी है। ऐसे में अमेरिकी सरकार भी इस पर प्रतिक्रिया दे सकती है।
एसएचओआर और कुर्दों की ओर से कहा गया है कि तुर्की समर्थित एसएनए भाड़े के सैनिकों और पूर्व अपराधी समूहों से बना गुट है। इस गुट के लड़ाकों ने शनिवार को पूर्वी अलेप्पो के मनबिज शहर में एसडीएफ पर हमला किया। एसडीएफ ने द न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि एसएनए के जमीनी हमले को तुर्की के लड़ाकू विमानों और ड्रोन से अंजाम दिया गया, जिसमें एसडीएफ के 22 लोग मारे गए और 40 घायल हुए। एक दूसरी घटना में तुर्की के आत्मघाती ड्रोन ने कुर्द सैन्य अड्डे पर हमला किया।
वाशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी की सीनियर फेलो देवोरा मार्गोलिन का कहना है कि असद के सत्ता से हटने की अराजकता के बीच तुर्की सीरिया के नक्शे को अपने हितों के अनुसार बदलना चाहता है। तुर्की का सीरिया के उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्रों में कुर्दों पर हमला करने का एक लंबा इतिहास रहा है। तुर्की ने लगातार कुर्दों को सीमा से दूर धकेलने और एक बफर जोन स्थापित करने की कोशिश की है।
मार्गोलिन का कहना है कि सीरिया अनिश्चितता में घिरा हुआ है तो तुर्की इसका इस्तेमाल अपने लिए करने की कोशिश में है। तुर्की और उसका प्रॉक्सी एसएनए सीरिया के नक्शे को बदलना चाहते हैं। वे मौजूदा समय का इस्तेमाल सत्ता हथियाने और एसडीएफ को कमजोर करने के लिए कर रहे हैं।
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