आज छोटी दीवाली पर जलाएं यम का दीया, सौंदर्य रूप श्री कृष्ण की पूजा का भी विधान

आगरा। कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी का दिन नरक चतुर्दशी का पर्व माना गया है।  जो आज दोपहर 1.15 बजे से प्रारंभ हो गया है और कल यानि 31 अक्तूबर 3.52 तक रहेगा। नरक से मुक्ति पाने के लिए इस पर्व को मनाया जाता है। आज शाम को यमराज के लिए दीपदान करना चाहिए । कहा जाता है इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का संहार किया था । 

Oct 30, 2024 - 15:20
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आज छोटी दीवाली पर जलाएं यम का दीया, सौंदर्य रूप श्री कृष्ण की पूजा का भी विधान

ज्योतिषाचार्य अरविन्द मिश्र ने बताया कि नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। इसको मनाए जाने के पीछे की कथा के बारे में उन्होंने बताया कि प्राचीन समय में रंतिदेव नामक राजा था। वह पहले जन्म में धर्मात्मा दानी था । उसी पूर्ववत कर्मों से इस जन्म में भी राजा ने अपार दान आदि देकर सत्य कार्य किया।  जब उसका अंत समय आया, तब यमराज के दूत उन्हें  लेने आए।  बार-बार राजा को लाल आंखें निकालकर कह रहे थे - राजन नरक में चलो तुम्हें वही चलना पड़ेगा।  

इस पर राजा घबराए और नरक में चलने का कारण पूछा। यम के दूतों  ने कहा राजन आपने जो कुछ दान पुण्य किया है, उसे तो समस्त विश्व जानता है।  किंतु पाप को केवल भगवान और धर्मराज जी जानते हैं।  राजा बोला उस पाप को मुझे भी बताओ, जिससे उसका निवारण कर सकूं। यमदूत बोले एक बार तेरे द्वार से भूख से व्याकुल एक ब्राह्मण लौट गया था, इससे तुझे नरक में जाना पड़ा पड़ेगा।  यह सुन राजा ने यमदूतों से विनती की कि आयु 1 वर्ष बढ़ा दी जाए।  इस विषय को दूतों ने बिना सोच विचार किए ही स्वीकार कर लिया और राजा की आयु 1 वर्ष बढ़ा दी गई । 

यमदूत चले गए राजा ने ऋषियों के पास जाकर इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा।  ऋषियों ने बतलाया - हे राजन तुम कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को व्रत रखकर भगवान कृष्ण का पूजन करना, ब्राह्मण भोजन कराना, तथा दान देकर सब अपराध सुनकर क्षमा मांगना तब तुम पाप मुक्त हो जाओगे।  कार्तिक कृष्ण की चतुर्दशी आने पर राजा नियम पूर्वक व्रत रहा और अंत में विष्णु लोक को प्राप्त हुआ  । 

रूप चतुर्दशी मनाने के बारे में ज्योतिषाचार्य अरविंद ने बताया कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी भी मनाई जाती है। इस दिन सौंदर्य रूप श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। इस दिन व्रत रखने से भगवान सुंदरता प्रदान करते हैं ।

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SP_Singh AURGURU Editor