फिरोजाबाद के दिहुली नरसंहार मामले में तीन दोषियों को फांसी की सजा
मैनपुरी। उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित दिहुली सामूहिक नरसंहार मामले में अदालत ने 44 साल बाद तीन लोगों को फांसी की सजा सुनाई है। इस मामले में फैसला सुनाते हुए अदालत ने तीन लोगों को दोषी ठहराया था। अदालत ने 18 मार्च को सजा सुनाने की तारीख तय की थी।

दिहुली में हुई. इस हिंसा में 24 दलित समुदाय के लोगों की हत्या कर दी गई थी। अब अदालत ने 24 लोगों की हत्याकांड के तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है और 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
अदालत ने रामसेवक, कप्तान सिंह, रामपाल को फांसी की सजा सुनाई है। इस हत्याकांड के 17 आरोपियों में से 13 लोगों की पहले ही मौत हो चुकी है। मैनपुरी के दिहुली गांव में 1981 में जातीय हिंसा में 24 दलितों की हत्या हुई थी। इस मामले में तीन आरोपियों को दोषी पाया गया है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने घटनास्थल का दौरा किया था।
साल 18 नवंबर 1981 को फिरोजाबाद के जसराना स्थित ग्राम दिहुली में जाति आधारित हिंसा में 24 दलित समुदाय के लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में लायक सिंह ने थाना जसराना में राधेश्याम उर्फ राधे, संतोष चौहान उर्फ संतोषा, राम सेवक, रविन्द्र सिंह, रामपाल सिंह, वेदराम, मिठ्ठू, भूपराम, मानिक चन्द्र, लटूरी, राम सिंह, चुन्नीलाल, होरी लाल, सोनपाल, लायक सिंह, बनवारी, जगदीश, रेवती देवी, फूल देवी, कप्तान सिंह, कम रुद्दीन, श्याम वीर, कुंवर पाल, लक्ष्मी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
पहले दिहुली गांव मैनपुरी जनपद में आता था, इसलिए केस मैनपुरी जिला न्यायालय में चला। चूंकि मैनपुरी में डकैती न्यायालय नहीं था, लिहाजा केस प्रयागराज स्थानांतरित हो गया। वहां सुनवाई के बाद करीब 15 साल पहले फिर से मैनपुरी स्पेशल जज डकैती न्यायालय भेज दिया गया। इस केस के अधिकांश आरोपियों की मौत हो चुकी है।