इस बार 14 जनवरी को ही मनेगी मकर संक्रांति, कल से उत्तरायण हो जाएंगे सूर्य
आगरा। इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी (मंगलवार) को ही मनाई जाएगी। 14 जनवरी को प्रातः 8 बज कर 56 मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मंगलवार को संक्रांति हो तो महोदरी नामक चोरों को सुख देती है। सूर्य संक्रांति समय से 16 घटी पूर्व (पहले) और 16 घटी बाद पुण्यकाल होता है।
प्रमुख ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद डॉ. अरविन्द मिश्र ने बताया कि वैसे संक्रांति हर महीने होती है परंतु मकर राशि पर सूर्य जाने से मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष माघ मास कृष्ण पक्ष प्रतिपदा में सूर्य मकर राशि पर आया है। इसे मकर संक्रांति इसीलिए कहते हैं क्योंकि मकर संक्रांति में सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। मकर राशि से कर्क में जाने तक उत्तरायण काल होता है। कर्क राशि से मकर राशि के प्रवेश तक दक्षिणायन काल रहता है।
डॊ. अरविंद मिश्र ने बताया कि उत्तरायण काल को देवताओं का दिन कहा जाता है और दक्षिणायन काल को देवताओं की रात्रि कहा जाता है। शुभ कार्यों के लिए उत्तरायण काल को शुभ माना गया है। महाभारत में वर्णन आता है कि महाभारत के युद्ध में घायल पितामह भीष्म ने अपने प्राण त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था।
उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति हमेशा अंग्रेजी तारीख 14 जनवरी को होती है। दक्षिण भारत में इस पर्व को पोंगल कहा जाता है। इस दिन दाल-चावल मिलाकर कच्ची खिचड़ी तथा तिल के लड्डू दान करते हैं। लड्डू न बन सके हों तो गजक दान की जाती है। खिचड़ी की डेरी बनाकर एक पापड़ जरा सा नमक और दक्षिणा रखकर घर के पुरुष मंशते हैं जो ब्राह्मण को दी जाती है या मन्दिरों में भेज दी जाती है।
सूर्य देव अपने पुत्र शनि देवघर राशि मकर राशि और कुम्भ राशि में दो महीने रहने के लिए आते हैं, इसलिए काले तिल, गुड़, उड़द, चावल आदि के गरीबों को दान करने से सूर्य और शनि के बुरे प्रभाव से बचाव होता है।
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