हरियाणा में भाजपा ने असंभव को संभव ऐसे बनाया

हरियाणा विधान सभा चुनाव के नतीजों ने हर किसी को चौंका दिया है। भाजपा ने असंभव को संभव कर दिखाया है। कैसे हुआ यह सब कुछ। पढ़िए एक रिपोर्ट-

Oct 9, 2024 - 13:38
 0  121
हरियाणा में भाजपा ने असंभव को संभव ऐसे बनाया

एसपी सिंह
चंडीगढ़। हरियाणा के चुनाव में बड़ा उलटफेर हो गया। भाजपा लगातार तीसरी बार राज्य में अपनी सरकार बनाने जा रही है। भाजपा ने हार को जीत में बदलकर असंभव को संभव बना दिया है। लोकसभा चुनाव में झटका लगने से भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट सा गया था। इस जीत से पार्टी एक बार फिर जोश से भर उठी है। 

हरियाणा चुनाव की घोषणा से चंद माह पहले भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाकर नायब सिंह सैनी को कुर्सी पर बैठाया था। सैनी की ताजपोशी के बाद भी भाजपा  नेतृत्व महसूस कर रहा था कि सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ेगा। खुद भाजपा के नेता भी मान रहे थे कि इस बार सरकार बना पाना मुकाबला बहुत मुश्किल है। 

प्रतिकूल हालात भी अनुकूल किए जा सकते हैं, इस मूलमंत्र को लेकर भाजपा चुपचाप चुनावी रणनीतियां बनाने और उस पर अमल करने में जुटी रही। इसकी तैयार लोकसभा चुनाव के बाद ही शुरू हो गई थी। भाजपा ने हरियाणा की चुनाव रणनीति का प्रभार केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को सौंपा। हरियाणा के जातिगत समीकरणों के हिसाब से दूसरे राज्यों के नेता भी हरियाणा में जुटा दिए थे। 
छोटे कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेता तक चुपचाप बूथ मैनेजमेंट से लेकर मतदाताओं के घरों पर दस्तक देने के अपने-अपने काम में जुटे रहे। आरएसएस के स्वयंसेवक भी मतदाताओं के घरों पर दस्तक देकर उन्हें वोटिंग के लिए प्रेरित करते रहे। इसका नतीजा हारी हुई बाजी के जीतने के रूप में सामने आ चुका है। अति आत्मविश्वास को लेकर हवा में उड़ती कांग्रेस जमीन पर आ गिरी। 

भाजपा के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती हरियाणा के ग्रामीण अंचल को साधने की थी। शहरों में तो भाजपा के लिए पहले की तरह की हालात मुफीद थे, लेकिन गांवों में सत्ता विरोधी स्वर उठ रहे थे। अब चुनाव नतीजे आने के बाद स्पष्ट हो चुका है कि भाजपा ने हरियाणा के ग्रामीण अंचल में भी 29 सीटें हासिल कर कांग्रेस के अरमानों पर पानी फेर दिया। 

भाजपा की सबसे बड़ी रणनीति यह रही कि अपने विरोधी मतों का बंटवारा करा दिया जाए। इसे उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस भी नहीं भांप पाई। भाजपा की ओर से शुरुआत से ही यह कोशिश की गई कि कांग्रेस के जाट, दलित वोट बैंक में बिखराव पैदा किया जाए। इनेलो-बसपा, जेजेपी-एएसपी गठबंधन के अलावा आम आदमी पार्टी ने भाजपा के इस काम को आसान कर दिया। 

कांग्रेस बहुत सी सीटें बहुत कम अंतर से हारी है। अगर आप से ही समझौता हो गया होता तो भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती थीं। इसी प्रकार इनेलो-बसपा तथा जेजेपी-एएसपी गठबंधन ने भी तमाम सीटों पर दलित और जाट मतदाताओं में सेंधमारी कर कांग्रेस की जीत को हार में बदल दिया। यही भाजपा चाहती थी। 

हरियाणा चुनाव नतीजों ने कांग्रेस के इस गुरुर को भी तोड़ दिया कि जाटलैंड में तो उसका ही डंका बजेगा। भाजपा के चार जाट विधायक चुने गए हैं। इस चुनाव में भाजपा ओबीसी मतदाताओं को भी गोलबंद करने में कामयाब रही। कुल मिलाकर भाजपा के अनुकूल आए चुनाव नतीजों में इस बार भी गैर जाट समीकरणों की बड़ी भूमिका है। 

चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के कुल मिले मतों में बहुत मामूली अंतर है। भाजपा को बढ़त है, लेकिन सीटों के मामलों में 11 का अंतर है। भाजपा ने इस बार 48 सीटें जीती हैं। यह भाजपा का अब तक का सबसे बेस्ट प्रदर्शन है। 

2014 के चुनाव में भाजपा को 47 सीटें मिली थीं। उसने अपने बूते पर सरकार बनाई थी। 2019 में भाजपा 40 सीटों पर सिमट गई थी, तब उसे सरकार बनाने के लिए जेजेपी से हाथ मिलाना पड़ा था। भाजपा एक बार फिर अपने बूते सरकार बनाने जा रही है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

SP_Singh AURGURU Editor