भाजपा में जिलाध्यक्ष के लिए मचा हुआ है घमासान
आगरा। भाजपा का पूरा तंत्र इन दिनों संगठन चुनावों में व्यस्त है। आज लखनऊ में चुनावों को लेकर वृहद स्तर पर बैठक हो रही है, जिसमें मंडल और ज़िले के चुनाव कार्यक्रम तय होने की उम्मीद है। भले ही अभी जिलाध्यक्ष के चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई है, पर दावेदारों ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रखा है। बड़े नेता भी लामबंदी में जुटे हुए हैं।
आलोक कुलश्रेष्ठ
यूपी में वर्ष 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस बार चुने जाने वाले ज़िलाध्यक्ष के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ा जाना है। इसलिए सभी बड़े नेता संगठन चुनाव में विशेष रुचि ले रहे हैं। सांसद, विधायकों के साथ ही चुनाव मैदान में उतरने की मंशा रखने वाले नेता भी अपने-अपने दावेदार के लिए लामबन्दी करने में जुटे हुए हैं। उनकी नज़र जिलाध्यक्ष के चुनाव से पहले होने वाले मंडल अध्यक्ष के चुनाव पर भी है।
मण्डल अध्यक्ष इसलिए हैं महत्वपूर्ण
संगठन के कार्यक्रम और सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर ले जाने में मंडल अध्यक्ष सर्वाधिक महत्वपूर्ण कड़ी है। साथ ही चुनाव के वक्त भी क्षेत्र में चुनाव प्रचार से लेकर प्रबंधन तक में मंडल अध्यक्ष महती भूमिका अदा करता है। इसके अलावा ज़िलाध्यक्ष के चुनाव में मंडल अध्यक्षों की राय काफी मायने रखती है।
यही वजह है कि क्षेत्र के बड़े नेताओं से लेकर ज़िलाध्यक्ष पद के दावेदार भी अपनी पसंद के मंडल अध्यक्ष बनवाने की फिराक में लगे हुए हैं। आगरा ज़िले में 26 मंडल हैं। हर मंडल में अध्यक्ष पद के लिए चार से लेकर पांच दावेदार हैं। मंडल अध्यक्ष के चुनाव के लिए बैठकों का दौर लगातार चल रहा है। जिले के चुनाव अधिकारी ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने मंडल के चुनाव अधिकारी भी घोषित कर दिए हैं। मंडल चुनाव अधिकारी अपने अपने मंडलों में जाकर बैठकें भी कर चुके हैं। मंडल अध्यक्ष के चुनाव के लिए तैयारियां लगभग पूरी हो चुकीं हैं। प्रदेश संगठन की ओर से चुनाव की तिथि आते ही चुनावी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
ज़िलाध्यक्ष की दौड़ में दर्जनभर से ज्यादा नाम
भाजपा में सबसे ज्यादा मारामारी जिलाध्यक्ष पद को लेकर चल रही है। बड़े नेता भी अपने-अपने खास नेता के लिए लाबिंग कर रहे हैं। इसके लिए लंच व डिनर पॉलिटिक्स चल रही है। नेताओं ने जातिवार अपने अपने समर्थकों के नाम तय कर लिए हैं। अपने समर्थक को ज़िलाध्यक्ष पद बिठवाने के लिए वे कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
भाजपा नेतृत्व के रुख़ को देखते हुए माना जा रहा है कि इस बार भी ज़िले की कमान किसी ओबीसी या एससी के हाथों में सौंपी जाएगी। हालांकि भाजपा में सक्रिय ब्राह्मण लाबी ज़िलाध्यक्ष पद हासिल करने के लिए जी जान से जुटी है। ब्राह्मण ख़ेमे का तर्क है कि जिले में संगठन से लेकर सरकार तक में क्षत्रियों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला हुआ है।
साथ ओबीसी में जाट समाज से सांसद व विधायक हैं। अन्य ओबीसी में कुशवाह समाज से विधायक होने के साथ ही वर्तमान जिलाध्यक्ष भी हैं। एससी समाज के भी दो विधायक व मंत्री है। ज़िले में केवल ब्राह्मण समाज को कुछ नहीं मिला है। इसी आधार पर ब्राह्मण समाज के दावेदार नेतृत्व के सामने दमदारी से दावा ठोंक रहे हैं। यह तो वक्त ही बताएगा कि जिलाध्यक्ष का ताज किसके सिर पर बंधेगा पर दावेदार अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
ये हैं ज़िलाध्यक्ष के दावेदार
वर्तमान जिलाध्यक्ष गिर्राज कुशवाह एक बार फिर से अपनी संभावना तलाश रहे हैं। इसके लिए वह पूरा जोर भी लगाए हुए हैं। साथ राकेश कुशवाह का नाम भी चर्चा में है। राकेश के पिता ओम प्रकाश कुशवाह भी ज़िलाध्यक्ष रह चुके हैं। जाट समाज से प्रशांत पोनियां और सोनू चौधरी प्रबल दावेदार हैं।
सर्वाधिक दावेदार ब्राह्मण समाज से हैं। ज़िला उपाध्यक्ष संतोष कटारा, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष हेमेंद्र शर्मा, श्याम सुंदर पाराशर, ऋषि उपाध्याय, सत्यदेव शर्मा, उमेश सेंथिया, पूर्व युवा मोर्चा अध्यक्ष सहदेव शर्मा सहित अन्य ब्राह्मण नेता ज़िलाध्यक्ष की कुर्सी पर नज़र गढ़ाए बैठे हैं। वैश्य समाज से दिनेश गोयल और एससी वर्ग से उमाशंकर माहौर प्रबल दावेदार बने हुए हैं।
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