लैब में कैद होने से नहीं, खेत-खलिहानों में किए शोध से सधेगा समाज का हित-प्रो. राना  

Dec 27, 2024 - 18:14
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लैब में कैद होने से नहीं, खेत-खलिहानों में किए शोध से सधेगा समाज का हित-प्रो. राना   
  विवि के जेपी सभागार में कार्यशाला में आए मुख्य अतिथि प्रो. केएस राना को स्मृति चिह्न प्रदान करते आयोजन समिति के पदाधिकारी।  

-कौशाम्बी फाउंडेशन, डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स एवं डॉ. आंबेडकर विवि की तीन दिवसीय संयुक्त कार्यशाला शुरू

- न्यूक्लीयर पैमिली के चक्कर में बच्चे दादा-दादी और नाना-नानी के अनुभवों से महरूम हो रहे- डॊ. चतुर्वेदी

इंटरनेशनल कांफ्रेंस इन मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च एंड प्रैक्टिस फार सस्टेनेबल डलवपमेंट एंड इनोवेशन कार्यशाला में देश भर के 350 से अधिक प्रतिनिधि ले रहे भाग

 

आगरा। ओमान (मस्कट) के हाई कमिश्नर प्रो. केएस राना ने शोधार्थियों का आह्वान किया है कि वे प्रयोगशालाओं में कैद होकर नहीं खेल, खलिहान, अस्पतालों व बाहरी क्षेत्र में निकलकर शोध करें। प्रयोगशालाओं में कैद होकर किए शोध न तो समाज का हित करेंगे और न ही शोधार्थियों का।

 

प्रो. राना विवि के खंदारी परिसर स्थित जेपी सभागार में  आयोजित तीन दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस इन मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च एंड प्रैक्टिस फार सस्टेनेबल डलवपमेंट एंड इनोवेशन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

 

प्रो. राना ने कहा कि मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च के दौर में हर विषय एक दूसरे से जुड़ा हुए हैं, इसलिए धरातल पर उतरकर कार्य करना होगा, जिससे देश व समाज के विकास के साथ शोधार्थियों का भी विश्व में नाम हो।

प्रो. राना जो कि मिनिस्ट्री एनवायरमेंट एंड फारेस्ट्री के एडवायजर भी हैं, ने कहा कि नौजवान देश की धरोहर हैं। समाज को कुछ देने के उद्देश्य के साथ काम करें।

 

विवि की कुलपति आशु रानी ने कहा कि आज मल्टीडिसिप्लिनरी के दौर में किसी एक विषय तक सीमित रहकर बेहतर शोध नहीं किया जा सकता। हर विषय के एक-दूसरे दूसरे से किसी न किसी तरह जुड़ा है। एक विषय तक सीमित शोधकार्य से बेहतर पेपर और न ही थीसिस तैयार नहीं होती। सिर्फ रिपीटेशन होता है। अच्छा पब्लिकेशन पढिए और शोध कार्य में अपने स्किल को बढ़ाइये।

 

इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सुगम आनन्द ने शोधार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कार्यक्रम के लिए शुभकामनाएं दीं। कौशाम्बी फाउंडेशन के आयोजन सचिव लक्ष्य चौधरी ने सभी अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ सभी अतितियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

 

विवि के फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स के निदेशक डॉ.अखिलेश चंद्र सक्सेना ने कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया। एमबीडी कालेज के चेयरपर्सन सतीश कुमार ने अतिथियों का परिचय दिया। धन्यवाद ज्ञापन नितिन वाही व संचालन विमल मुखरी ने किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रियांसी राजपूत, नीतू सिंह, कृमा, काजल सिंह, यतेन्द्र कुमार, योसिल चौधरी, तुषार, शबी अहमद, ऋषभ भार्गव, पूजा पाठक आदि इपस्थित थीं।

 

एआई के चक्कर में शेयरिंग और केयरिंग हो रही खत्म

आगरा। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डीईआई के डिपार्टमेंट ऑफ फुटवेयर एंड टेक्नोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. डीके चतुर्वेदी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से बहुत फायदे हैं, परन्तु हमारे जीवन से मानवता, नैतिकता व शेयरिंग और केयरिंग खत्म हो रही है। सच्चे मित्र का स्थान आजकल वर्चुअल फ्रेंडस ले रहे हैं जो कभी आपकी परेशानी में आकर खड़े नहीं हो सकते।

 

उन्होंने कहा कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति वो थी जिसमें एकलव्य ने कोई प्रश्न किए बिना गुरु को अपना अंगूठा काटकर दे दिया था, परन्तु आज गुरु और शिष्य के रिश्तों में तर्क-वितर्क बढ़ गया है। हम प्रोग्रेस के चक्कर में बहुत कुछ पीछे छोड़ते जा रहे हैं। जिस सस्टेनिबिलिटी का पाठ आज हमें पढ़ाया जा रहा है वह तो हमारी संस्कृति में कब से है। हमारे बड़े भाई का कपड़ा छोटा भाई, फिर चाचा का बेटा पहनता है और बाद में फेकने के बजाय उस कपड़े का पोटा बनता है। इससे कचरा और खर्चा दोनों कम होते हैं।

 

डॊ. चतुर्वेदी ने कहा कि न्यूक्लीयर पैमिली के चक्कर में बच्चे दादा-दादी और नाना-नानी के अनुभवों से महरूम हो रहे हैं। तकनीक का प्रयोग करें, लेकिन उस पर पूरी तरह निर्भर न हो।

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SP_Singh AURGURU Editor