बेटी को मार खुद मरने वाले चंद्र प्रकाश की दास्तां ने हर किसी को रुला दिया
आगरा। एत्माउद्दौला थाना क्षेत्र के कटरा वजीर खां में चंद्र प्रकाश के आत्मघाती कदम से पहले तो हर कोई स्तब्ध था, लेकिन बेटी को मारकर खुद अपनी जान देने वाले इस अभागे बाप की दास्तां जिसने भी सुनी, उसका दिल भर आया। यह सोचकर ही सिहरन सी होती है कि बेटी पर जान न्यौछावर करने वाले पिता के मन मष्तिष्क में बेटी को जहर देकर मारने के लिए कितना द्वंद्व चला होगा।
चंद्र प्रकाश और रेखा के जीवन में 14 साल पहले तब खुशियां आई थीं जब उनके यहां बेटी का जन्म हुआ। खुशी नाम दिया था इस दंपति ने अपनी बेटी को। जन्म के कुछ समय बाद पता चला कि बेटी पैरों से चल नहीं पाएगी। चंद्रप्रकाश और रेखा ने बच्ची का अपने से ज्यादा ध्यान रखा। दोनों बेटी पर जान छिड़कते थे।
चार साल पहले चंद्र प्रकाश के जीवन में उस समय तूफान आ गया जब उसकी पत्नी रेखा की मौत हो गई। चंद्र प्रकाश टूटा तो सही, लेकिन बेटी की जिम्मेदारी में कोई कमी नहीं छोड़ी। खुशी के ननिहाल पक्ष ने उसे अपने घर पर रखने का प्रस्ताव दिया, लेकिन चंद्र प्रकाश बेटी को लेकर इतना संजीदा था कि उसने उसे ननिहाल भी नहीं भेजा।
जूता कारीगरी कर चंद्र प्रकाश का जीवन जैसे-तैसे कट रहा था, लेकिन कुछ माह पहले जब उसकी नौकरी चली गई तो वह आर्थिक तंगी से घिर गया। जिस बेटी को खुशी नाम दिया था, उसी को खुशियां नहीं दे पा रहा था। चंद्र प्रकाश के भाई इंद्रजीत को भतीजी खुशी से पता चला था कि पिता बहुत अवसाद में रहते हैं तो भाई का परिवार भी पिता-बेटी का ध्यान रखने लगा था। भाई इंद्रजीत कल सुबह जब चाय लेकर चंद्र प्रकाश के कमरे में पहुंचे तो वहां पहले भतीजी और फिर भाई की डेड बाडी दिखी।
माना जा रहा है कि चंद्र प्रकाश को बेटी की दिव्यांगता को लेकर चिंता थी और वह इस बात से परेशान था कि उसके बाद बेटी का क्या होगा। शायद इसीलिए दिल पर पत्थर रखकर जान से ज्यादा प्यारी बेटी को जहर दिया और बाद में खुद ने फांसी लगाकर जान दे दी।
What's Your Reaction?