हरियाणा चुनावः देवीलाल के 'चार लाल' के लाल हैं एक-दूसरे पर 'लाल'
हरियाणा के विधान सभा चुनाव में लम्बे समय तक शिखर पर रहे चौधरी देवीलाल के वंशजों ने एक-दूसरे के खिलाफ बांहें चढ़ा रखी हैं। खून के रिश्ते खूंटी पर टांगकर चुनावी दंगल में सभी एक-दूसरे को पटकनी देने पर आमादा हैं।
-एसपी सिंह-
चंडीगढ़। हरियाणा के चुनावी समर में जो होना है, उसका खुलासा तो आठ अक्टूबर को होगा, लेकिन इस बार के चुनाव में एक वट वृक्ष की शाखाएं एक-दूसरे को ही काटने पर आमादा हैं। खून के रिश्ते भुलाए जा चुके हैं। एक-दूसरे को पटकनी देकर अपना वजूद साबित करने का द्वंद्व चल रहा है।
हम बात कर रहे हैं, हरियाणा की राजनीति के लम्बे समय तक केंद्र बिंदु रहे चौधरी देवीलाल की। जी हां, ताऊ चौधरी देवी लाल की। चौधरी देवी लाल के "चार लाल" और उन चार लाल के भी लाल, एक-दूसरे पर "लाल" हुए पड़े हैं। ताऊ, चाचा, चचेरे भाई, पोता, भाई-भाभी, ससुर-बहू जैसे रिश्ते खूंटी पर टांग कर चौधरी देवीलाल के वारिश एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। ये सभी चौधरी देवीलाल की विरासत पर दावा ठोकते हैं।
ओम प्रकाश चौटाला के बेटे आमने-सामने
हरियाणा में चौधरी देवीलाल ने अपने परिवारीजनों के लिए एक समृद्ध राजनीतिक विरासत छोड़ी थी। अब उसी विरासत का असली वारिस साबित करने के लिए चौधरी देवीलाल के चार बेटों के परिवारों के बीच ये जंग चल रही है। सब के सब राजनीति में ही हैं। अंतर इतना सा है कि जो राजनीतिक दल चौधरी देवीलाल ने बनाया था, उस पर उनके बड़े बेटे ओम प्रकाश चौटाला का कब्जा है। चौटाला इनेलो के मुखिया हैं। इस समय इतने अस्वस्थ हैं कि चुनाव में सक्रिय रूप से भाग नहीं ले सकते। इनेलो की कमान इस समय ओम प्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला के हाथों में है। अभय चौटाला खुद तो चुनाव मैदान में उतर ही रहे हैं, अपने बेटे अर्जुन चौटाला को भी इस चुनाव के जरिए राजनीति में उतारने जा रहे हैं। अभय के दूसरे पुत्र करन भी राजनीति में सक्रिय हो चुके हैं। दूसरी ओर ओम प्रकाश चौटाला के ही बड़े पुत्र डा. अजय चौटाला अपनी अलग पार्टी जननायक जनता पार्टी की कमान संभाले हुए हैं। अजय चौटाला अपने पुत्र दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला के साथ छोटे भाई की इनेलो से दो-दो हाथ करने को मैदान में उतर चुके हैं।
रंजीत मानते हैं खुद को असली वारिस
हरियाणा की सक्रिय राजनीति में ताऊ देवीलाल के एक और बेटे रंजीत चौटाला भी हैं। चौधरी देवीलाल की राजनीति जब पीक पर थी, तब रंजीत चौटाला को ही उनका स्वाभाविक उत्तराधिकारी माना जा रहा था। तब रंजीत चौटाला ताऊ की सरकार में कृषि मंत्री थे। चौधरी देवीलाल 1989 में जब वीपी सिंह की सरकार में उप प्रधानमंत्री बने तो यहां हरियाणा में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कब्जा करने में ओम प्रकाश चौटाला सफल हो गए। बताते हैं कि उस समय देवीलाल की पार्टी के ज्यादातर विधायक रंजीत चौटाला के पक्ष में थे। ओम प्रकाश चौटाला के पास मात्र पांच विधायक थे। एक बार सीएम बनने के बाद ओम प्रकाश चौटाला इस पद पर तीन बार रहे।
बड़े भाई ओम प्रकाश चौटाला से आहत होकर रंजीत चौटाला ने अलग राह पकड़ ली। रंजीत चौटाला विधान सभा का पिछला चुनाव निर्दलीय जीते थे। बीजेपी संग वे भाजपा सरकार में ऊर्जा मंत्री भी बन गए। हाल में हिसार लोकसभा सीट से उन्हें भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वे चुनाव हार गए। अब भाजपा ने हरियाणा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की तो उसमें रंजीत चौटाला का नाम नहीं था। रंजीत ने इसके बाद भाजपा छोड़ दी है और वे अब निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं।
मतलब चौधरी देवीलाल के वारिसों के बीच दूरियां इतनी बढ़ चुकी हैं कि रंजीत चौटाला ने अपने भतीजों द्वारा संचालित इनेलो और जेजेपी में जाने के बारे में सोचा तक नहीं। रंजीत चौटाला फिलहाल तो खुद को राजनीति में बनाए रखने की जद्दोजहद में हैं। वैसे रंजीत चाहते थे कि इस बार के चुनाव में वे अपने बेटे को भी भाजपा से टिकट दिलवा दें, लेकिन भाजपा ने बेटे को तो दूर, रंजीत के ही अरमानों पर पानी फेर दिया। बता दें कि रंजीत चौटाला का बेटा भी राजनीति में सक्रिय हो चुका है। वर्तमान में वह हिसार जिला बोर्ड में सदस्य है।
प्रताप चौटाला की विरासत रवि के हाथों में
कांग्रेस से चौधरी देवीलाल ने अपनी राजनीति शुरू की थी। जब वे कांग्रेस की राजनीति में प्रतिष्ठापित हो चुके थे, तभी 70 के दशक में उन्होंने अपने पुत्र प्रताप चौटाला को कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुनवा दिया था। प्रताप चौटाला का निधन हो चुका है और अब उनके पुत्र रवि चौटाला इस समय अपने ही ताऊ यानि ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी इनेलो में हैं। रवि की पत्नी सुनयना हाल में इनेलो के टिकट पर हिसार से लोकसभा का चुनाव लड़ी थीं। हिसार में ही जेजेपी की टिकट पर ओम प्रकाश चौटाला के दूसरे पुत्र डा. अजय चौटाला की पत्नी भी मैदान में थीं। एक ही परिवार की इन दो बहुओं का मुकाबला अपने चचिया ससुर भाजपा प्रत्याशी रंजीत चौटाला से था। चुनाव में ये तीनों हारे और कांग्रेस ने यह सीट जीती।
जगदीश चौटाला के बेटे को भाजपा से आस
चौधरी देवीलाल के चौथे पुत्र जगदीश चौटाला भी स्वर्गवासी हो चुके हैं। स्व. जगदीश के पुत्र आदित्य चौटाला उनकी विरासत को लेकर चल रहे हैं। आदित्य चौटाला इस समय भाजपा में हैं। राज्य की भाजपा सरकार में उन्हें मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन का पद मिला हुआ था। आदित्य चौटाला भी इस बार विधान सभा का चुनाव लड़ने की लाइन में थे, लेकिन भाजपा ने उन्हें भी टिकट नहीं दिया है। सभी की निगाह इस बात पर है कि आदित्य चौटाला का अगला कदम क्या होगा। रिश्तों में किस कदर तल्खी है कि आदित्य चौटाला ने जिला बोर्ड के चुनाव में ओम प्रकाश चौटाला की पुत्रवधु यानि अभय चौटाला की पत्नी को हराया था, जो रिश्ते में आदित्य की भाभी हैं।
ताऊ का भतीजा है कांग्रेस में सक्रिय
इन सबके अलावा चौधरी देवीलाल के भाई के पुत्र केपी सिंह भी हरियाणा की सक्रिय राजनीति में हैं। ताऊ ने उन्हें मुख्यमंत्री पद पर रहते अपना ओएसडी बनाया था। ताऊ के बाद केपी सिंह ने कांग्रेस की शरण ले ली थी। केपी सिंह कांग्रेस से विधायक भी चुने जा चुके हैं।
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