कहीं लटक न जाए आगरा के दोनों भाजपा जिलाध्यक्षों का चयन
आगरा। भाजपा के अंतःपुर में जिलाध्यक्षों के चयन को लेकर जिले से लेकर लखनऊ तक रार फैली हुई है। जनप्रतिनिधि अपने-अपने चहेते को अध्यक्ष बनवाने को एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। किसी एक नाम पर सभी की सहमति न बनने से प्रदेश नेतृत्व भी ऊहापोह की स्थिति में है। आगरा जिला और महानगर अध्यक्ष के लिए मची मारामारी के बीच यह संकेत भी मिलने लगे हैं कि सहमति न बनी तो नेतृत्व आगरा के दोनों पदों को होल्ड पर भी डाल सकता है।
मालूम हो कि आगरा महानगर अध्यक्ष के लिए 38 और जिला अध्यक्ष के लिए 45 दावेदारों ने नामांकन किया है। कई नामांकनों को तो जिला निर्वाचन अधिकारी ने जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ नेताओं से विमर्श कर खारिज कर दिया है, पर पैनल बनाने में उन्हें पापड़ बेलने पड़ गए हैं। महानगर से लेकर जिले तक में कोई एक नाम ऐसा नहीं आया है, जिसको सभी जनप्रतिनिधियों ने अपनी पसंद की सूची में रखा हो।
महानगर में सांसद से लेकर विधायक किसी एक नाम पर सहमत नहीं हो पा रहे हैं। एक विधायक पहले एक ब्राह्मण नेता के पैरोकार बने हुए थे पर अंतिम दौर में उन्होंने अपना दांव एक दलित नेता पर लगा दिया है। इसी तरह एक सांसद ने एक वैश्य नेता के लिए पूरा दमखम लगा रखा है। उनकी मुहिम को प्रदेश के एक पदाधिकारी ने दम दे दिया है। सांसद को एक विधायक का भी समर्थन मिला हुआ है। हालांकि यह विधायक अपने चहेते एक ब्राह्मण नेता को अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं।
इसी तरह शहरी सीट के एक विधायक ने एक पुराने ब्राह्मण नेता को अध्यक्ष बनवाने के लिए दिन रात एक कर रखा है। इन सब के बीच एक विधायक चुप्पी मारे बैठे हैं। उन्होंने अपनी पसंद के बारे में नेतृत्व को लिखित में दे दिया है। वह खुलकर किसी भी दावेदार की पैरवी नहीं कर रहे हैं। एक विधायक स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं।
जिले में भी रार कम नहीं
जिले में दो विधायकों ने चुप्पी साध रखी है। वे नेतृत्व के फैसले को मानने की मानसिकता बनाए बैठे हैं। हालांकि वे अपने से बड़े जनप्रतिनिधि के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। बाकी के दो विधायकों ने अपनी पसंद से नेतृत्व को अवगत करा दिया है। यहां पर भी किसी एक नाम पर एक राय नहीं है।
आज हो रहा मंथन
जिलाध्यक्षों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए आज लखनऊ में बैठक हो रही है। इस बैठक में निर्वाचन अधिकारियों द्वारा चयनित नामों पर चर्चा हो रही है। यदि यहां भी किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनी तो मामला लटक सकता है।
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