होली पर आलू निकासी की अफवाह ने किसानों का नुकसान करा दिया
आगरा। होली के अगले ही दिन आलू निकासी शुरू होने की अफवाह ने इस बार आलू पैदा करने वाले किसानों का बहुत ज्यादा नुकसान कर दिया है।

-कुछ यू-ट्यूबर्स और कोल्ड स्टोरेज मालिकों के फैलाए भ्रम में ऐसे फंसे कि खुदाई की गति रुक गई, अब वे बढ़े हुए टेम्प्रेचर में फंस चुके हैं
-Girdhari Lal Goyal-
होली पर पूरे भारत की मंडियों में आलू का परता 800 से 1300 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा नहीं आ रहा था। कोल्ड स्टोरेज वालों की ओर से अच्छी भली खरीद 1400 से 1600 रुपये क्विंटल की चल रही थी। इस बीच कुछ शातिर यू-ट्यूबर्स और कोल्ड स्टोरेज वालों ने 1021 या 1051 प्रति कट्टे की निकासी का शिगूफा उड़ा दिया। इसके साथ ही किसानों ने कोल्ड स्टोरेज के हिसाब से खुदाई रुकवा दी।
इस दौरान जो किसान अपना आलू लेकर मंडी गए, वे पिट कर आये। कुछ के दाम 800 या 1000 रुपये प्रति क्विंटल के आये तो कुछ का माल दागी हो गया। इस स्थिति से निराश होकर किसानों ने फिर स्टोरेज में भंडारण के लिए खुदाई शुरू कराई, तब तक टेम्प्रेचर बढ़ चुका था। अगर होली के तुरंत बाद खुदाई जारी रहती तो आलू अगले चार दिन के अंदर कोल्ड स्टोरेज में पहुंच चुका होता।
बढ़े हुए तापमान में खुदे आलू को लेकर किसान जब कोल्ड स्टोरेज पहुंचे तो स्टोरेज मालिकों ने गर्म माल पर लोन देने से मना कर दिया।
आलू किसान हमेशा ऐसा ही करते हैं। छोटी-छोटी अफवाहों से भ्रमित होना उनकी आदत में शुमार है। भाव में तेजी आती है तो सात मंजिले पर चढ़ जाते हैं। मंदी आने पर झीने से भी उतरने का धैर्य ना रखकर ऊपर से ही छलांग लगा देते हैं।
किसी भी किसान ने दिमाग नहीं लगाया कि होली पर जब खेतों में ही 20 प्रतिशत आलू खुदाई के लिए पड़ा हुआ है तो कोल्ड स्टोरेज अभी से क्यों खुलने लगे? ये भी नहीं सोचा कि पूरे अप्रैल भर कोल्ड स्टोरेज का आलू खेतों-बगीचों के डंप से सस्ता ही बिकता है।
आलू की खुदाई के दौरान ही जिन कोल्ड स्टोरेज वालों ने हाउसफुल का बोर्ड लगाया था, किसान नेता उनके खिलाफ तो जांच की मांग कर रहे थे, लेकिन ये नहीं सोचा कि कोई कोल्ड स्टोरेज वाला अपने खाली स्टोरेज को भरा बताकर और आवक को रोक कर घाटा क्यों उठाएगा?
आलू उत्पादक किसानों को वे कोल्ड स्टोरेज वाले बहुत भले लग रहे थे, जिन्होंने 1051 की निकासी की अफवाह फैलाई। इस अफवाह पर भरोसा करने का दुष्परिणाम अब किसानों के सामने आ चुका है।