पिनाहट का पांटून पुल तैयार नहीं, बटेश्वर में दीपदान करने को अंबाह-पोरसा के लोगों को लगाना पड़ेगा 200 किमी का फेरा
पिनाहट। प्रसिद्ध बटेश्वर मेला दो नवंबर से प्रारंभ होने जा रहा है। इस मेले में राजस्थान और मेडी प्रदेश से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। चंबल नदी स्थित उसेद-पिनाहट घाट पर उत्तर प्रदेश, राजस्थान व मध्य प्रदेश को जोड़ने वाले पांटून पुल का निर्माण अभी तक शुरू भी नहीं हुआ है, जबकि चंबल नदी का जलस्तर घटते ही इसका निर्माण शुरू होकर इसे 15 अक्टूबर तक बन जाना चाहिए था।
पांटून पुल का निर्माण नहीं होने से अंबाह-पोरसा क्षेत्र के लोगों को 200 किलोमीटर का अतिरिक्त फेरा लगाकर उत्तर प्रदेश व राजस्थान के शहरों और गांवों में जाना पड़ रहा है। बता दें कि अंबाह-पोरसा क्षेत्र के लोगों की ज्यादातर रिश्तेदारियां उत्तर प्रदेश के शहरों और गांवों में हैं। व्यापार के सिलसिले में वहां के व्यापारियों का भी यूपी और राजस्थान ने रोजाना आना-जाना लगा रहता है।
इतना ही नहीं भाई दूज व दीपावली की पूर्णिमा पर लोगों को भारी परेशानी होगी। दीपोत्सव पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु दीपदान करने के लिए बटेश्वर पहुंचते हैं। दो नबंवर से विश्व प्रसिद्ध बटेश्वर का पशु मेला भी शुरू होने जा रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में अंबाह-पोरसा क्षेत्र के पशु व्यापारी पहुंचते हैं, लेकिन इस बार पांटून पुल नहीं बनने से पशु विक्रेताओं को मुरैना-धौलपुर होकर बटेश्वर पहुंचना पड़ेगा।
बटेश्वर मेला के दौरान मध्य प्रदेश और राजस्थान के लोग बड़ी संख्या में बटेश्वर नाथ के दर्शन करने भी पहुंचते हैं। इन लोगों को भी पांटून पुल न बनने से 200 किलोमीटर अतिरिक्त चलकर यहां पहुंचना पड़ेगा।
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