गैंगरेप केस में आरोपियों को अंजाम तक पहुंचाने को कमर कस चुकी है पुलिस
आगरा। सिकंदरा क्षेत्र में विगत 25 फरवरी को एक 14 वर्षीय किशोरी के साथ गैंगरेप की जघन्य वारदात में आगरा पुलिस ने जिस तत्परता के साथ 23 दिनों के अंदर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है, वह सराहनीय है।

किशोरी से दुष्कर्म के मामले में आगरा पुलिस ने 23 दिन में चार्जशीट दाखिल कर एक नजीर पेश की है
यही नहीं, पुलिस ने आरोपित सिक्योरिटी गार्ड भाइयों को सजा दिलाने के लिए भी पूरी तैयारी कर रखी है। इनके विरुद्ध वैज्ञानिक और डिजिटल साक्ष्य एकत्रित किए गए हैं।
यह शर्मनाक घटना तब घटी थी जब मजदूर दंपत्ति की बेटी अपनी छोटी बहन के साथ स्कूल से घर लौट रही थी। रास्ते में मिले सिक्योरिटी गार्ड भाई किशोरी के पीछे-पीछे उसके घर तक आ गये थे। किशोरी के घर का ताला खोलने पर ये भी अंदर दाखिल हो गये थे। बाद में दोनों ने घर में ही शराब पी और फिर किशोरी से दुष्कर्म किया। किशोरी की छोटी बहन के शोर मचाने पर बस्ती के लोगों ने दोनों आरोपियों को पकड़ लिया था। आरोपियों की पहचान शैलेंद्र दुबे और योगेंद्र दुबे, निवासी फरुर्खाबाद के रूप में हुई। दोनों तोमर सिक्योरिटी एजेंसी में कार्य करते थे।
चार्जशीट में शामिल किए गए हैं मजबूत साक्ष्य
दिनदहाड़े गैंगरेप की इस वारदात से हर कोई हिल गया था। पुलिस ने भी इसे गंभीरता से लिया। पुलिस द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट में घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज को साक्ष्य के रूप में लिया गया है, जिसमें आरोपियों को पीड़िता के साथ जाते हुए देखा गया है।
पीड़िता के सील किए गए कपड़ों और आरोपियों से लिए गए खून के नमूनों को डीएनए परीक्षण के लिए भेजा गया है। इसके अतिरिक्त, फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से कई अन्य वैज्ञानिक साक्ष्य भी जुटाए हैं, जिन्हें विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया है। आरोपियों के मोबाइल फोन की लोकेशन घटना के समय घटनास्थल पर मिलने को भी पुलिस ने साक्ष्य में शामिल किया है।
पुलिस की चार्जशीट के अनुसार डायल 112 पर सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने पाया कि भीड़ ने आरोपियों को पकड़ रखा था। भीड़ में शामिल कुछ व्यक्तियों को इस मामले में गवाह बनाया गया है, जो घटना की अपनी आँखों देखी गवाही देंगे।
पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए अपने बयान में दोनों आरोपियों की स्पष्ट पहचान की है और घटना की पूरी जानकारी दी है, जो कानूनी रूप से एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है। बरामद कपड़े: आरोपियों द्वारा घटना के समय पहने गए कपड़ों को भी पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है, जो फोरेंसिक जांच में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि एसीपी हरीपर्वत आदित्य स्वयं इस मुकदमे में गवाह बने हैं। चार्जशीट में कुल 19 गवाहों का जिक्र है।
इस त्वरित और प्रभावी कार्रवाई से आगरा पुलिस ने न केवल पीड़िता और उसके परिवार को न्याय का विश्वास दिलाया है, बल्कि यह भी संदेश दिया है कि जघन्य अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और अपराधियों को कानून के शिकंजे से बचने नहीं दिया जाएगा।