बच्ची का दुष्कर्मी खुद को किन्नर बताकर बचना चाह रहा था, जांच में पुरुष निकला, 20 साल कैद की सजा
बरेली। लगभग सात वर्ष की बच्ची के साथ दुष्कर्म जैसी घिनौनी हरकत करने वाला दरिंदा खुद को बचाने के लिए स्वयं को किन्नर बता रहा था। अदालत के आदेश पर जेल प्रशासन ने उसका एसजीपीजीआई में लिंग परीक्षण कराया तो वह पुरुष निकला। स्पेशल जज पॊक्सो एक्ट उमाशंकर कहार ने इस अभियुक्त को 20 साल कैद और 12 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। जुर्माने की राशि पीड़िता को बतौर पुनर्वास देने का आदेश दिया गया है।
थाना मीरगंज के विवेचक निरीक्षक दयाशंकर द्वारा न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। विशेष लोक अभियोजक राजीव कुमार ने सात गवाह पेश किए गये। गवाहों की गवाही और सबूतों को ध्यान में रखकर फरीन को यह सजा सुनाई गई।
उल्लेखनीय है कि बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने 24 अगस्त 2023 को कोर्ट में अर्जी देकर कहा कि फरीन की सामाजिक पृष्ठभूमि किन्नर की है। वह महिलाओं के कपड़े पहनता है। महिलाओं की तरह ही रहता है। फरीन ने भी अपने बयान में दावा किया कि वह जन्म से महिला किन्नर है। वह दुष्कर्म नहीं कर सकता।
इसके बाद कोर्ट के आदेश पर जेल प्रशासन ने 18 सितंबर 2024 को फरीन किन्नर का लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में लिंग परीक्षण किया। इसमें फरीन के पुरुष होने की पुष्टि हुई। 27 सितंबर को अभियोजन पक्ष की ओर से फरीन की लिंग परीक्षण रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई थी।
फरीन किन्नर को सजा सुनाने के दौरान स्पेशल जज ने सुप्रीम कोर्ट समेत कई राज्यों के हाईकोर्ट के आदेशों को नजीर के रूप में रखा। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य बनाम छोटेलाल एफआईआर 2011 एससी पेज 697 का हवाला दिया। कहा कि संबंधित मामले में उच्च न्यायालय ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया है कि यदि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट पर कोई बाहरी या आंतरिक चोट के निशान न हों तथा डॉक्टर द्वारा मेडिकोलीगल परीक्षण में बलात्कार न होने का तथ्य अंकित किया है तो भी पीड़िता के बयानों पर कोर्ट निष्कर्ष देगी। महाराष्ट् और गुजरात, हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों का भी हवाला दिया।
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