करहल में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के दामादों के बीच का मुकाबला सर्वाधिक रोमांचक रहा

यूपी के इन उप चुनावों में सर्वाधिक रोमांचक मुकाबला मैनपुरी जिले की करहल सीट पर रहा, जहां दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के दामादों ने दो-दो हाथ किए। एक तरफ बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप यादव साइकिल पर सवार होकर मैदान में उतरे तो उनसे मुकाबिल हुए सपा संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के दामाद अनुजेश प्रताप यादव।  अनुजेश भाजपा के प्रत्याशी हैं। 

Nov 20, 2024 - 17:40
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करहल में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के दामादों के बीच का मुकाबला सर्वाधिक रोमांचक रहा

मैनपुरी। उत्तर प्रदेश में विधान सभा की नौ सीटों के लिए आज मतदान संपन्न हो चुका है। अब सभी की नजरें 23 नवंबर को आने वाले नतीजों पर हैं। यह उप चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ ही भाजपा के लिए भी प्रतिष्ठा से जुड़े चुनाव थे। सपा अपनी पांच सीटें बचाने के साथ ही दूसरी अन्य सीटों को जीतने के इरादे के साथ लड़ी तो भाजपा ने सपा को जमीन दिखाने के लिए दिन-रात एक कर दिया। 

यूपी में गाजियाबाद, खैर, फूलपुर, मीरापुर मझवां, कुंदरकी, करहल, कटेहरी और सीसामऊ विधान सभा सीट पर बुधवार को वोट डाले गए हैं। मतदाताओं ने अपना मत ईवीएम में दर्ज कर दिया है। 23 को जब ये ईवीएम खुलेंगी तो पता चलेगा कि भाजपा और सपा ने क्या खोया और क्या पाया। 

बसपा के जनाधार की भी परीक्षा हुई है इस उप चुनाव में। जिन सीटों पर चुनाव हुए हैं, उनमें से पांच सपा के पास थीं जबकि शेष चार में से दो भाजपा और एक-एक निषाद पार्टी और रालोद के पास थी। भाजपा ने रालोद को मीरापुर सीट तो दी, लेकिन मझवां सीट पर भाजपा इस बार खुद लड़ी। सपा सभी नौ सीटों पर लड़ी है जबकि भाजपा आठ पर। 

यूं तो सभी नौ सीटों पर भाजपा, सपा और बसपा ने पूरी ताकत लगाई, लेकिन मैनपुरी की करहल सीट पर सपा के साथ भाजपा का कुछ ज्यादा ही फोकस रहा। करहल सपा का गढ़ है। 2022 में यहां से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव विधायक चुने गए थे। 
अखिलेश यादव ने कन्नौज से सांसद चुने जाने के बाद करहल सीट खाली की और उप चुनाव में अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को अपना उम्मीदवार बनाया।

तेज प्रताप यादव सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के पौत्र और अखिलेश यादव के भतीजे तो हैं ही, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद भी हैं। इस प्रकार तेज प्रताप यादव के साथ सैफई परिवार के साथ ही लालू प्रसाद यादव की प्रतिष्ठा भी जुड़ी थी।

तेज प्रताप यादव की उम्मीदवारी बहुत पहले घोषित हो गई थी। भाजपा ने अंतिम समय में पत्ते खोले और तेज प्रताप यादव के मुकाबले में स्व. मुलायम सिंह यादव के दामाद और अखिलेश यादव के बहनोई अनुजेश प्रताप यादव को मैदान में उतार दिया। 

भाजपा प्रत्याशी के रूप में अनुजेश के नाम की घोषणा से पूरी सपा ही नहीं, सैफई परिवार भी हैरान रह गया था क्योंकि अनुजेश यादव कोई दूर के नहीं, बहुत नजदीकी रिश्तेदार हैं। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन अनुजेश यादव की पत्नी हैं। 

अनुजेश यादव को भी राजनीति विरासत में मिली है। उनकी मां उर्मिला यादव कई बार घिरोर से विधायक रह चुकी हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से सैफई परिवार और उर्मिला यादव के बीच रिश्तों में पहले जैसी गर्माहट महसूस नहीं की जा रही थी। शायद इसी वजह से उर्मिला यादव और उनके बेटे अनुजेश यादव ने भाजपा में एंट्री ली। 

पूरे चुनाव के दौरान हालांकि दोनों परिवारों ने नजदीकी रिश्ते को देखते हुए एक-दूसरे के प्रति संयम बरता, लेकिन चुनाव तो चुनाव होता है। कई मर्तबा ऐसा मौका आया जब सैफई परिवार के वरिष्ठ सदस्यों का दर्द जुबान पर आ गया। जैसे सपा महासचिव शिवपाल यादव ने अप्रत्यक्ष रूप से रिश्तों के भविष्य पर ही सवाल उठा दिए तो अनुजेश की मां ने भी घुमा-फिराकर ये बात कह दी कि करहल किसी की जागीर थोड़े है। 

अनुजेश यादव रिश्ते में तेज प्रताप यादव के फूफा लगते हैं। फूफा और भतीजे ने चुनाव का रुख अपने पक्ष में मोड़ने के लिए दिन-रात एक कर दिया। तेज प्रताप यादव के लिए पूरा सैफई परिवार एकजुट था तो अनुजेश के लिए उनकी मां पूर्व विधायक उर्मिला यादव के साथ समूची भाजपा मैदान घर-घर पर दस्तक देती रही। 

इस रोचक चुनावी मुकाबले में मतदान के बाद फिर वही सवाल उठ रहा है कि करहल के सपाई दुर्ग को ढहाने के लिए भाजपा ने एक बार फिर गोले दागे हैं, क्या भाजपा फिर से मात खाएगी या फिर अपने सपा के किले को तोड़ देगी। 

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