बसंत पंचमी उत्सव में दयालबाग की आकर्षक सजावट ने मन मोह लिया
आगरा। बसंत पंचमी, जो हर वर्ष दयालबाग में धूमधाम से मनाई जाती है, इस वर्ष का उल्लास कुछ विशेष ही था। बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में हुए शानदार आयोजन ने न केवल बसंत पंचमी को, बल्कि गुरु महाराज प्रोफेसर प्रेम सरन सतसंगी साहब के जन्मोत्सव और होली के आयोजन को भी समाहित किया। ये सभी आयोजन एक ही उत्सव के रूप में संपन्न हुए। इस दौरान समूचा दयालबाग परिसर आकर्षक सजावट से हर किसी का मन मोह रहा था।

दयालबाग जो कि रा धा /धः स्व आ मी सतसंग का मुख्यालय है, में बसंत का विशेष महत्व है। बसंत पंचमी का दिन रा धा /धः स्व आ मी मत के सतसंगियों के लिए महा आनंद का है, क्योंकि इसी दिन, 15 फरवरी 1861 को, मत के प्रथम आचार्य परम पुरुष पूरन धनी हुज़ूर स्वामी जी महाराज ने जगत उद्धार का संदेश पहले-पहल प्रगटाया और सतसंग आम जारी फरमाया। “घट में खेलूं अब बसन्त। भेद बताया सतगुरु संत।।”
बसंत के अति पावन अवसर पर दयालबाग में रात्रि के समय भव्य एवं आकर्षक विद्युत सज्जा की गई। इस पावन पर्व पर गुरु महाराज और रानी साहिबा ने दयालबाग़ और आसपास की सतसंगी कॉलोनियों में विजिट किया।
गुरु महाराज का जन्मोत्सव भी मना
इस बार बसंत पंचमी का आयोजन इसलिए भी ख़ास रहा क्योंकि बसंत पंचमी के साथ ही गुरु महाराज प्रोफेसर प्रेम सरन सतसंगी साहब का जन्मोत्सव भी मनाया गया। इस अवसर पर दयालबाग़ में भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। सतसंगियों के लिए कल का दिन श्रद्धा और भक्ति से भरा रहा। बसंतोत्सव के सारे आयोजन सभी की सुविधा को ध्यान में रखते हुए प्रात: काल में आयोजित किए गए ताकि अधिक से अधिक लोग इसमें शामिल हो सकें।
होली तक चलेंगे आयोजन
इस दौरान हरियाणा और राजस्थान क्षेत्र के रीजन द्वारा लगाई गई कियोस्क पर विशेष रूप से 24 घंटे सेवाएं प्रदान की गईं। इन कियोस्क पर, क्षेत्रीय स्वाद से भरपूर स्वस्थ भोजन किफायती दामों पर उपलब्ध कराया गया। इस वर्ष, बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में आयोजित सभी आयोजनों को होली तक मनाया जाएगा। इस विशेष आयोजन का उद्देश्य यह है कि सभी सतसंगी बार-बार दयालबाग़ आने के बजाय, एक ही उत्सव में पूरे कार्यक्रम का आनंद उठा सकें।
550 केंद्रों पर रहा उल्लास का माहौल
यह संयुक्त उत्सव दयालबाग एवं समूचे देश-विदेश के 550 से भी अधिक केंद्रों में बहुत ही उल्लास और उमंग से मनाया गया। सभी ने मिलकर सफाई और सजावट की। दयालबाग और देश-विदेश स्थित 550 केंद्रों की सजावट एवं विद्युत सज्जा आलौकिक छटा बिखेरती रही।
2015 में रखी गई थी दयालबाग की नींव
बसंत पंचमी उत्साह और उमंग के साथ दयालबाग में मनाई जाती है क्योंकि बसंत पंचमी के दिन ही 20 जनवरी 1915, के दिन रा धा /धः स्व आ मी मत के पांचवें आचार्य, सर साहबजी महाराज द्वारा रा धा /धः स्व आ मी सतसंग का मुख्यालय, दयालबाग, आगरा में स्थापित करने हेतु एक शहतूत का पौधा लगा कर दयालबाग की नींव रखी गई। इसके साथ ही नई सतसंग संस्कृति की नींव भी रखी गई।
मिडिल स्कूल से किया था शिक्षा क्षेत्र में प्रवेश
दयालबाग में शिक्षा और संस्कृति की शुरुआत 1 जनवरी 1916 को मिडिल स्कूल, जिसे आज राधास्वामी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (आरईआई) के नाम से जाना जाता है, के रूप में हुई। यह पौधा धीरे-धीरे बढ़ते हुए वर्तमान में यूनिवर्सिटी डीईआई के रूप में एक बड़ा वृक्ष बन गया है, जिसका प्रभाव न केवल अपने देश के विभिन्न भागों में अपितु विदेशों में भी हो रहा है।
बसंत का दिन रा धा /धः स्व आ मी मत के सतसंगियों के लिए इसलिए भी बहुत महत्व रखता है क्योंकि इसी दिन मत का संवत का नया वर्ष प्रारंभ होता है।