इंटर कॊलेजों में प्रिंसिपल पद की आयु सीमा से सीनियर टीचर्स के लिए रास्ते बंद
आगरा। नव गठित उत्तर प्रदेश शिक्षा आयोग ने अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, प्रवक्ता एवं सहायक अध्यापकों की भर्ती और नियुक्ति के लिए अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष निर्धारित किए जाने से इंटर कॊलेजों के सीनियर टीचर्स के प्रिंसिपल पद पर चयन के रास्ते बंद हो गए हैं। नए प्रावधानों से जूनियर टीचर प्रिंसिपल बन सकेंगे जो सीनियर टीचर्स के लिए बहुत असहज स्थिति होगी।
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ऐसी स्थिति में जब नवगठित आयोग में इन पदों की भर्ती हेतु अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष निर्धारित की गयी है तो कोई भी अनुभवी प्रवक्ता व सहायक अध्यापक जिसकी उम्र 40 वर्ष से अधिक है, वह इण्टर कॉलेज का प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक नियुक्त नहीं हो सकेगा। इसका दुष्परिणाम यह होगा कि कम अनुभव के जूनियर (कनिष्ठ) शिक्षक प्रधानाचार्य बन जायेंगे और सीनियर प्रवक्ता आयु सीमा की बाध्यता की वजह से प्रधानाचार्य बनने से वंचित रह जायेंगे।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की प्रदेश कार्यसमिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॊ. देवी सिंह नरवार कहते हैं, इससे सीनियर प्रवक्ताओं में असन्तोष व उपेक्षा की भावना जन्म लेगी, जो कतई न्यायसंगत नहीं है। प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक की नियुक्ति हेतु 40 वर्ष की अधिकतम आयु की बाध्यता को तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए। अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, प्रवक्ता एवं सहायक अध्यापकों के पदों पर नियुक्त हेतु इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट 1921 के सुसंगत प्रावधानों को यथावत लागू किया जाये।
अब जबकि इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू होने जा रही है, इससे पूर्व यह संशोधन अध्यापकों के व्यापक हित में अत्यन्त आवश्यक है। डॊ. नरवार ने उम्मीद जताई है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस ओर ध्यान देकर आयोग के प्रावधानों को संशोधित करने के निर्देश जारी करेंगे।
डॉ. नरवार का कहना है कि इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट 1921 में अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, प्रवक्ता एवं सहायक अध्यापक (प्रशिक्षित स्नातक वेतनक्रम) में भर्ती/नियुक्ति हेतु अधिकतम आयु सीमा निर्धारित नहीं है। रिटायरमेंट की उम्र 60 वर्ष की उम्र से पहले तक कोई भी व्यक्ति नियुक्ति पाने का अधिकारी है।
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