अब चुभी क्वार की धूप, 10 दिन बाद पारा फिर 36 पार, अहसास हुआ ? ऐसे ही नहीं कहते कि मृग भी काला पड़ जाता है!
आगरा। क्वार माह की धूप इतनी चटक होती है कि लोग सहन नहीं कर पाते। एक पुरानी कहावत भी है कि क्वार की धूप में मृग यानी हिरण तक काला पड़ जाता हैं। इन दिनों सूरज के मिजाज देखकर ये कहावत चरितार्थ भी हो रही है। धूप से राहत पाने के लिए लोग चश्मा, गमछे का सहारा ले रहे हैं।
आगरा से मानसून की विदाई होते ही तापमान एक बार फिर बढ़ने लगा है। नई पीढ़ी के लोग जो क्वार के महीने के बारे में नहीं जानते वे तो सकते में हैं कि अब जब मौसम सर्दी की ओर बढ़ना चाहिए अचानक धूप ने कहर ढाना क्यों शुरू कर दिया है।
सुबह से निकल रही चिलचिलाती धूप जहां दोपहर बाद लोगों को चुभने लगी है वहीं वातावरण में छाई नमी से उमस भरी गर्मी लोगों को बेचैन कर रही है। बिना पंखे, कूलर, एसी के लोग पसीने से तरबतर हो रहे हैं। शुक्रवार को भी सुबह से सूर्यदेव के तेवर तल्ख दिखे। जैसे-जैसे दिन चढ़ा सूरज की तपन बढ़ती गई। फिलहाल चुभती धूप और उमस भरी गर्मी से जहां लोग बेहाल हैं वहीं सबसे ज्यादा परेशानी उन मेहनतकशों को हो रही है जो पेट की खातिर पसीना बहाते हैं। क्वार की गर्मी झेल रहे लोग अब बेसब्री से शरद ऋतु के आगमन का इंतजार कर रहे हैं।
वहीं मौसम विभाग की मानें तो आने वाले कुछ दिनों तक दोपहर के वक्त चटक धूप ऐसे ही परेशान करती रहेगी। सुबह और शाम के वक्त जरूर राहत मिलेगी, लेकिन उमस फिर भी रहेगी। आगरा में मानसून की आखरी बारिश 24 सितंबर को हुई थी। इसके बाद 10 दिन बीत चुके हैं। इन 10 दिनों में पारा लगभग 07 से 08 डिग्री बढ़ा है। 24 सितंबर के आसपास जो तापमान न्यूनतम 24 और अधिकतम 30 डिग्री सेल्सियस पर था वह एक बार फिर न्यूनतम 27 और अधिकतम 37 डिग्री सेल्सियस पर है।
जानें क्वार माह के बारे में
क्वार का महीना अंग्रेजी माह के अनुसार सितम्बर-अक्टूबर के बीच आता है। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक, क्वार का महीना आश्विन का महीना होता है। इस महीने में बारिश अपने आखिरी चरण में होती है या खत्म हो चुकी होती है।
आसमान साफ़ हो जाता है और वातावरण में ज़्यादा गर्मी नहीं होती है। इस महीने में हल्की-हल्की ठंड रहती है। यह महीना वर्षा ऋतु और शीत ऋतु के बीच का संधिकाल होता है।
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