शहीदी समागम में बड़े साहिबजादों की शहादत को सुन भर आई आंखें
आगरा। गुरुद्वारा दशमेश दरबार शहीद नगर विभव नगर में इन दिनों गुरु गोविंद सिंह जी के चार साहिबजादों और माता गुजर कौर तथा 40 सिखों की शहादत को याद करते हुए सफर ए शहादत शहीदी सप्ताह का आयोजन चल रहा है। प्रतिदिन सुबह व शाम को कीर्तन दरबार होते हैं।
शहीदी समागम में सचखंड श्री हरमंदिर साहिब अमृतसर के कथावाचक ज्ञानी कुलदीप सिंह ने दो बड़े साहिबजादौ बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह की चमकौर की गढ़ी में हुई मुगलिया फौज के साथ जंग और उनकी शहादत को विस्तार से सुनाया। बताया कि साहिबदाओ की शहादत के बाद जब गुरु गोविंद सिंह मैदान-ए-जंग में गए तो अपने दोनों पुत्रों के शरीर देखकर आगे बढ़ गए।
उनके साथ चल रहे सिखों ने दोनों साहिबजादों के शवों पर कफन डालने के लिए कहा तो गुरु जी ने कहा कि मैदाने जंग में शहीद सभी सिख मेरे पुत्र हैं। केवल अपने दो पुत्रों पर कफन डालना और अन्य को छोड़ देना सही नहीं होगा।
गुरमत विचार के दौरान ज्ञानी कुलदीप सिंह ने दोनों छोटे साहिबजादौ व माता गुजर कौर की निर्मम शहादत का वृतांत भी विस्तार से संगत के सामने जिस तरह से रखा, उसे सुन संगत की आंखें नम हो गईं।
शहीदी समागम के दौरान देहरादून से आए रागी भाई जगतार सिंह और आगरा के रागी भाई गुरशरण सिंह ने भी अपने शब्द कीर्तन के माध्यम से गुरु पुत्रों की शहादत को याद किया। उन्होंने संगत को शब्द रसमई वाणी कीर्तन की अमोलक वाणी सुनाकर निहाल कर दिया।
कीर्तन समागम के अंत में आनंद साहिब का पाठ हुआ और अरदास व हुकूमनामा के साथ कीर्तन की समाप्ति हुई। कीर्तन समागम के दौरान प्रधान हरपाल सिंह मीत, प्रधान श्याम भोजवानी, सचिव मलकीत सिंह, इंदरजीत सिंह, सुरेंद्र सिंह, हरजीत सिंह भसीन, जगजीत कौर, सरबजीत कौर, कुलदीप कौर, कमलदीप कौर, चांदनी भोजवानी, सिमरन कौर, रणजीत कौर, जसविंदर कौर, अमरजीत कौर, स्वर्ण कौर, रिंकू वीर और जसविदर सिंह आदि मौजूद रहे।
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