मुख्तार अंसारी की मौत से संबंधित रिपोर्ट उसके बेटे को देने के सुप्रीम आदेश
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (2 जनवरी 2025) को उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उनके बेटे को मेडिकल और जांच की रिपोर्ट साझा की जाए। जस्टिस ऋषिकेष रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी ने ये आदेश तब दिया है जब मुख्तार अंसारी के बेटे की ओर से अदालत में बताया गया कि उन्हें अब तक मेडिकल और न्यायिक जांच की रिपोर्ट नहीं मिली है।
मऊ सदर से पांच बार विधायक रहे 63 वर्षीय अंसारी की कथित तौर पर 28 मार्च, 2024 को उत्तर प्रदेश के बांदा के एक अस्पताल में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। वह 2005 से जेल में थे, उनके खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले लंबित थे और उन्हें भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था।
मुख्तार अंसारी की मौत से पहले, बेटे उमर अंसारी ने दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपने पिता को उत्तर प्रदेश के बाहर किसी जेल में ट्रांसफर करने का निर्देश देने की मांग थी। उमर अंसारी ने दलील दी थी कि उनके पिता को जेल में जान का खतरा है। साल 2023 में ही राज्य सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि अगर जरूरी हुआ तो वह बांदा जेल के अंदर मुख्तार अंसारी की सुरक्षा को मजबूत करेगी। गुरुवार को, यूपी सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि दस्तावेज उमर को मुहैया कराए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंसारी का पोस्टमार्टम किया गया था और बाद में मजिस्ट्रेट जांच भी की गई थी। इसलिए राज्य सरकार उमर अंसारी को दो सप्ताह के भीतर मेडिकल और जांच रिपोर्ट की प्रतियां उपलब्ध कराए। उमर की याचिका में कहा गया है कि जब उनकी मां ने उमर अंसारी की सुरक्षा के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, तो अदालत ने मई, 2024 में उनकी सुरक्षा बढ़ाने का आदेश दिया था। पिछले साल मार्च में जब मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत हुई तब उनके भाई और गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी ने आरोप लगाया था कि मुख्तार को जेल में "धीमा जहर" दिया जा रहा है। हालांकि अधिकारियों ने इस आरोप से इनकार किया है।
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