गुजारा भत्ते पर सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों को दिए आठ सूत्री फार्मूला
नई दिल्ली। अतुल सुभाष खुदकुशी मामले की गंभीरता के इसके परिणाम को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजारा भत्ता मामले में देशभर की अदालतों को आठ सूत्री फार्मूला दिया है। अतुल सुभाष की मौत को लेकर देशभर में आक्रोश है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि ये सुनिश्चित करना जरूरी है कि स्थायी गुजारा भत्ता की राशि पति को दंडित न करे। ये पत्नी के लिए एक सम्मानजनक जीवन स्तर सुनिश्चित करने के मकसद से बनाई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की इस गाइडलाइंस के बाद 'चाहे भीख मांगो, उधार लो या फिर चोरी करो, मैंटिनेंस तो देना ही होगा' जैसे फैसलों पर लगाम लगने की उम्मीद है।
इन आठ सूत्री फार्मूले में पति और पत्नी की सामाजिक और आर्थिक स्थिति, भविष्य में पत्नी और बच्चों की बुनियादी जरूरतें, दोनों पक्षों की योग्यता और रोजगार, आय और संपत्ति के साधन, ससुराल में रहते हुए पत्नी का जीवन स्तर, क्या उसने परिवार की देखभाल के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी है?, जो पत्नी काम नहीं कर रही है, उसके लिए कानूनी लड़ाई के लिए उचित राशि और पति की आर्थिक स्थिति, उसकी कमाई और गुजारा भत्ता के साथ अन्य जिम्मेदारियां हैं।
गौरतलब है कि 34 साल के सुभाष बेंगलुरु में एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर थे। उन्होंने मरने से पहले 24 पन्ने का नोट लिखा और 80 मिनट का वीडियो संदेश रिकॉर्ड किया जिसमें उन्होंने अपना दर्द बयां किया। उन्होंने अपनी मौत के लिए पत्नी की प्रताड़ना के साथ-साथ फैमिली कोर्ट की जज को भी जिम्मेदार बताया जिन्होंने कथित तौर पर केस सेटलमेंट के लिए उनसे 5 लाख रुपये की मांग की थी। सुभाष की 5 साल पहले शादी हुई थी और उनका एक 4 साल का बच्चा भी था। फैमिली कोर्ट ने उन्हें बच्चे के गुजारा के लिए पत्नी को हर महीने 40 हजार रुपये देने का आदेश दिया था। पत्नी निकिता सिंघानिया ने उनके और उनके परिवार वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न समेत 9 केस दर्ज करा रखे थे। सुभाष की मौत के बाद सोशल मीडिया पर तमाम लोग आक्रोश जता रहे और आरोप लगा रहे हैं कि तलाक के मामलों में कई बार अदालतें मनमाने तरीके से मैंटिनेंस की रकम तय कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों के लिए 8 पॉइंट वाली गाइडलाइंस तय कर दी है, जिसके आधार पर उन्हें गुजारा भत्ता की रकम को तय करना होगा। कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि स्थायी गुजारा भत्ता की राशि पति को दंडित न करे बल्कि पत्नी के लिए एक सम्मानजनक जीवन स्तर सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई जानी चाहिए। वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2020 में 'रजनीश बनाम नेहा' केस में भी गुजारे भत्ते को लेकर अदालतों के लिए गाइडलाइंस तय किए थे।
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