भाजपा जिलाध्यक्ष पद के लिए ऐसी मारामारी पहले कभी नहीं देखी गई

आगरा। भारतीय जनता पार्टी यूपी में अपने जिलाध्यक्षों की घोषणा नहीं कर पा रही। 15 जनवरी तक यह काम पूरा हो जाना था। इस बार जिलाध्यक्षों के चयन में प्रदेश नेतृत्व के भी पसीने छूट रहे हैं क्योंकि हर जिले में पद एक है और दावेदार दर्जनों। एक से बढ़कर एक कद वाला नेता जिलाध्यक्ष पद चाहता है। इनके लिए लॊबिंग करने वाले सांसद, विधायक और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने ऐसे हालात बना दिए हैं कि प्रदेश नेतृत्व जिलाध्यक्षों के नामों को अंतिम रूप नहीं दे पा रहा।

Jan 21, 2025 - 17:37
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भाजपा जिलाध्यक्ष पद के लिए ऐसी मारामारी पहले कभी नहीं देखी गई

-15 जनवरी तक घोषित हो जाने थे जिलाध्यक्ष, अभी कोई उम्मीद नहीं दिख रही

-हर जिले में एक पद और दावेदार दर्जनों, पार्टी साधना चाहती है सामाजिक समीकरण

-सांसद और विधायक चाहते हैं अपनी-अपनी पसंद के जिलाध्यक्ष, यही मुश्किल

बता दें कि प्रदेश के हर जिले में भाजपा के जिलाध्यक्ष पदों के लिए नामांकन की प्रक्रिया सात से दस जनवरी के बीच पूरी कर ली गई थी। जिले के चुनाव अधिकारियों द्वारा छंटनी के बाद प्रमुख दावेदारों के नाम प्रदेश नेतृत्व को उपलब्ध करा दिए गए हैं। इसके बाद न जाने कितनी बार बैठकों के दौर हो चुके हैं। पहले माना जा रहा था कि 20 से 22 जनवरी के बीच नये जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी जाएगी, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा।

भाजपा की संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया के तहत 25 जनवरी को प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना है। इससे पहले जिलाध्यक्षों का चुनाव अनिवार्य है। जिलाध्यक्षों के लिए चल रही मारामारी को देखते हुए ही यह तय किया गया है कि हाल-फिलहाल यूपी में 45 से 50 जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी जाए ताकि प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव का कोरम पूरा हो सके। पार्टी को इसमें भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

सत्ता पक्ष के जिलाध्यक्ष का रुतबा भी किसी विधायक सांसद से कम नहीं होता, इसलिए हर कोई जिलाध्यक्ष बनना चाहता है। पार्टी जिलाध्यक्षों के चयन में भी सामाजिक समीकरणों को साधना चाहती है। उधर सांसद, विधायक अपनी पसंद के लिए जोर लगाए पड़े हैं। इसी वजह से जिलाध्यक्षों की सूची घोषित होने में देरी हो रही है।

वैसे संगठन का चुनाव नाम भर का है। नामांकन के साथ ही सभी दावेदारों से नाम वापसी के फॊर्म भी पार्टी साथ के साथ ले चुकी है। अब जिसे भी जिलाध्यक्ष पद सौंपा जाएगा, वह प्रदेश नेतृत्व की ओर से सलेक्शन होगा। चूंकि सभी दावेदार नाम वापसी के फॊर्म भी नामांकन के साथ ही दे चुके हैं, इसलिए किसी के विरोध की गुंजाइश भी नहीं बचती।

 

SP_Singh AURGURU Editor