यूपी में यमुना का डूब क्षेत्र निर्धारित, गजट भी जारी किया गया

आगरा। तीन साल लम्बी लड़ाई के बाद उत्तर प्रदेश में यमुना के दोनों ओर डूब क्षेत्र तय हो गया है। हरियाणा के यमुना नगर से यमुना यूपी में प्रवेश करती है और प्रयागराज में गंगा में मिल जाती है। यूपी में यमुना का 1600 किलोमीटर लम्बाई में डूब क्षेत्र का निर्धारण केंद्र और राज्य सरकार की उच्चस्तरीय संयुक्त कमेटी ने किया है। इसमें आगरा जिले में यमुना का 167 किलोमीटर लम्बाई का डूब क्षेत्र भी शामिल है।

Feb 2, 2025 - 22:44
Feb 2, 2025 - 22:45
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यूपी में यमुना का डूब क्षेत्र निर्धारित, गजट भी जारी किया गया

-आगरा के पर्यावरणविद डॊ. शरद गुप्ता की याचिका पर एनजीटी ने तय कराया है 1600 किलोमीटर लम्बाई में यमुना का डूब क्षेत्र

 -आगरा में 167 किलोमीटर लम्बाई में बहती है यमुना, डूब क्षेत्र तय न होने से लगातार होता था अवैध खनन और अवैध निर्माण

यह यमुना के उद्धार की दिशा में एक बड़ा कदम है। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के आदेश पर यह संभव हो पाया है। एनजीटी में इसके लिए आगरा के पर्यावरणविद डॊ. शरद गुप्ता ने वर्ष 2022 में याचिका दाखिल की थी। 

डॊ. शरद गुप्ता ने 2022 में दी थी याचिका

पर्यावरणविद डॊ. शरद गुप्ता वर्ष 2022 में ताजमहल के पीछे अवैध खनन होने पर एनजीटी में पहुंचे थे। एक याचिका दायर कर इस अवैध खनन को रोकने की मांग की थी। एनजीटी के आदेश पर केंद्र सरकार की एक टीम यहां जांच के लिए पहुंची थी। उस टीम ने जब यमुना के डूब क्षेत्र की जानकारी मांगी तो उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग ने तब बताया था कि यमुना का डूब क्षेत्र निर्धारित ही नहीं है। डूब क्षेत्र तय न होने के कारण यह ही तय नहीं हो पा रहा था कि ताज महल के पीछे यमुना में जहां खनन हो रहा है, वह डूब क्षेत्र में आता है या नहीं।

14 सदस्यीय कमेटी बनी थी डूब क्षेत्र तय करने को

जांच टीम की रिपोर्ट मिलने के बाद डॊ. शरद गुप्ता ने एनजीटी में मांग की थी कि उत्तर प्रदेश की सीमा में यमुना का डूब क्षेत्र तय किया जाए। इस पर एनजीटी ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग और यूपी के सिंचाई विभाग समेत कई अन्य विभागों के 14 वरिष्ठ अधिकारियों की एक कमेटी गठित कर आदेश दिया था कि समूचे उत्तर प्रदेश में यमुना का जल ग्रहण क्षेत्र निर्धारित किया जाए। कमेटी को यह तय करना था कि बाढ़ की स्थिति में यमुना का पानी कहां-कहां तक पहुंचता है। यही डूब क्षेत्र कहलाता है।

रिमोट सेंसर एजेंसी ने दिया डाटा

इस कमेटी ने यमुना के हरियाणा से यूपी में प्रवेश करने के पॊइंट हरियाणा-यूपी बॊर्डर (अजगरपुर) से लेकर प्रयागराज तक यमुना के डूब क्षेत्र को तय करने के लिए सालों माथापच्ची की। शुरुआत में कमेटी के सामने यह दिक्कत आई कि डूब क्षेत्र का कोई डाटा उपलब्ध नहीं था। कमेटी की मांग पर एनजीटी ने हैदराबाद की रिमोट सेंसर एजेंसी से यमुना डूब क्षेत्र का डाटा दिलवाया।

डूब क्षेत्र का गजट नोटिफिकेशन जारी

कमेटी ने यूपी में यमुना के दोनों किनारों का डूब क्षेत्र तय करते हुए एनजीटी में 450 पन्नों की रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट के आने  के बाद एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि यूपी में यमुना के 1600 किलोमीटर लम्बाई वाले डूब क्षेत्र का जो निर्धारण हुआ है, उसका गजट नोटिफिकेशन जारी किया जाए।

उत्तर प्रदेश सरकार ने एनजीटी के आदेश पर यमुना के निर्धारित किए गए डूब क्षेत्र का गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। प्रदेश सरकार ने इसकी अनुपालन आख्या भी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पेश कर दी है।

यमुना के पुनरुद्धार की उम्मीद-डॊ. शरद गुप्ता

पर्यावरणविद डॊ. शरद गुप्ता का कहना है कि यूपी में यमुना का डूब क्षेत्र निर्धारित हो जाने के बाद डूब क्षेत्र में अवैध खनन, अवैध निर्माण और प्रदूषण पर रोक लग सकेगी। अभी तक डूब क्षेत्र तय न होने की आड़ लेकर अधिकारी निर्माण और खनन के लिए अनुमति दे दिया करते थे। अब ऐसा कर पाना संभव नहीं होगा। यमुना के दोनों किनारों पर अब किसी भी प्रकार का निर्माण करने के लिए सक्षम एजेंसियों से अनुमति लेनी पड़ेगी।

आगरा में 167 किलोमीटर लम्बी है यमुना

उत्तर प्रदेश की सीमा में यमुना का बहाव 1600 किलोमीटर लम्बाई में है तो आगरा में यह 167 किलोमीटर है। आगरा की सीमा में भी यमुना का डूब क्षेत्र तय न होने के कारण बडी संख्या में यमुना किनारों पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण हो चुके हैं। देखना यह है कि डूब क्षेत्र तय होने के बाद क्या इन अवैध निर्माणों और अतिक्रमणों को हटाया जाएगा।

SP_Singh AURGURU Editor