राहुल की सामाजिक न्याय में निष्ठा नहीं, जातिगत गणना की बात एक छलावा- स्मृति ईरानी
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब अलग तरह की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने पहली बार जाति को राजनीतिक हथियार बनाया है। इससे उनमें आया बदलाव झलकता है। उनकी सामाजिक न्याय में कोई निष्ठा नहीं है। वह सिर्फ अपने फायदे के लिए जाति की बात उठा रहे हैं। इससे उन्हें समय-समय पर हेडलाइन मिल जाती है और वह चर्चा में बने रहते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और अमेठी से राहुल गांधी को एक बार चुनाव हरा चुकीं स्मृति ईरानी ने आज ये बातें कहीं।
स्मृति ईरानी का कहना है कि राहुल गांधी बहुसंख्यक हिंदुओं को लुभाने की भरपूर कोशिश की और तमाम मंदिरों में भी गए लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली तो अब जाति का मुद्दा उठाने लगे हैं। वह लोगों को पहले धार्मिक रूप से ठगना चाहते थे और अब सामाजिक रूप से ठगने में जुटे हैं। यदि इसमें भी वह असफल हो जाएंगे तो वह कोई तीसरा मुद्दा उठाएंगे। उनके लिए सत्ता सर्वोपरि हैऔर इससे अधिक कुछ नहीं। उनकी किसी के प्रति कोई निष्ठा नहीं है। राहुल जब मंदिरों में जा रहे थे, तब लोगों को महसूस हुआ कि यह सिर्फ छलावा है। इसके बाद उन्हें सलाह देने वालों ने सुझाव दिया हिंदुओं को हम धर्म के आधार पर नहीं आकर्षित नहीं कर सकते तो फिर जाति के आधार पर उन्हें आकर्षित करें। वह जो जातिगत जनगणना की बात करते हैं, वह राजनीतिक चालबाजी है।
स्मृति आगे कहती हैं कि अगर सामाजिक न्याय के प्रति उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता होती तो उनकी राजनीतिक यात्रा में इसकी स्पष्ट झलक मिलती। इसलिए राहुल जो अभी जाति जनगणना की बात कर रहे हैं, वो उनका राजनीतिक छल है और कुछ नहीं। इसीलिए वो यह जानते हुए भी कि मिस इंडिया सरकार नहीं बनाती, फिर भी वो इस पर बोल रहे हैं क्योंकि कम-से-कम हेडलाइन तो मिलती है। स्मृति कहती हैं कि अगर राहुल की ऐसी बातों से आपको गुस्सा आता है तो आप उनके खेल का हिस्सा बन जाते हैं। इस तरह राहुल अपने मकसद में सफल हो जाते हैं। राहुल गांधी ऐसे मुद्दों में विश्वास नहीं रखते बल्कि रणनीति के तहत इन्हें अपने फायदे में भुनाते हैं।
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