इसरो को झटका, एनवीएस-02 मनचाही कक्षा में नहीं हो सका स्थापित
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के 100वें मिशन को झटका लगा है। इसरो ने श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी -एफ15 के जरिए एनवीएस -02 सैटेलाइट लॉन्च किया था। जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल 29 जनवरी को सुबह 6:23 बजे सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरी थी। इसरो का यह 100वां लॉन्चिंग मिशन था, जिसमें अब कुछ तकनीकी खामी आ गई है।
इसरो के पूर्व साइंटिस्ट विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि एनवीएस-02 उपग्रह को उसकी मनचाही कक्षा में स्थापित करने के इसरो के प्रयासों को झटका लगा है। दरअसल, अंतरिक्ष यान के थ्रस्टर को एक्टिव नहीं किया जा सका है। एनवीएस-02 उपग्रह भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष-आधारित नेविगेशन सिस्टम यानी नाविक के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे 29 जनवरी को जीएसएलवी-एमके 2 रॉकेट से श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था।
किसी भी सैटेलाइट को एक तय कक्षा में स्थापित किया जाता है। इसरो के इस सैटेलाइट को भी तय ऑर्बिट में ही कायम किया जाना था। मगर, वक्त पर इसके थ्रस्टर्स फायर नहीं कर पाए। ये थ्रस्टर्स एक तरह से छोटे-छोटे रॉकेट होते हैं। इनमें ऑक्सीडाइजर को प्रवेश देने वाले वॉल्व नहीं खुल पाए, जिससे फायरिंग नहीं हुई। दीर्घवृत्ताकार ऑर्बिट में नेविगेशन की खातिर सैटेलाइट का उपयोग करने के लिए वैकल्पिक मिशन रणनीतियों पर काम किया जा रहा है।
इससे पहले इसरो ने बताया था कि एनवीएस-02 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया है। यह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम का हिस्सा है, जो भारत में जीपीएस जैसी नेविगेशन सुविधा को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसरो के पूर्व साइंटिस्ट विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यह सिस्टम कश्मीर से कन्याकुमारी, गुजरात से अरुणाचल तक का हिस्सा कवर करेगा। साथ ही साथ कोस्टल लाइन से 1500 किमी तक की दूरी भी कवर होगी। इससे हवाई, समुद्री और सड़क यात्रा के लिए बेहतर नेविगेशन हेल्प मिलेगी।
विनोद कुमार श्रीवास्तव के अनुसार, सैटेलाइट अब अंडाकार भू-समकालिक स्थानांतरण कक्ष में पृथ्वी का चक्कर लगा रहा है, जो नेविगेशन सिस्टम के लिए ठीक नहीं है। इसरो ने कहा, सैटेलाइट सिस्टम ठीक है और सैटेलाइट मौजूदा वक्त में अंडाकार ऑर्बिट में है। यह ऑर्बिट में नेविगेशन के लिए सैटेलाइट का उपयोग करने के लिए वैकल्पिक मिशन रणनीतियों पर काम किया जा रहा है।
जीएसएलवी रॉकेट से सैटेलाइट को सफलतापूर्वक जीटीओ में स्थापित करने के बाद इसके सौर पैनल प्लान के मुताबिक तैनात हो गए थे। इसमें बिजली उत्पादन स्थिर रहा। साथ ही ग्राउंड स्टेशन के साथ इसका संपर्क कायम हो गया था। उस वक्त लॉन्च सफल रहा, सभी चरणों ने बिना किसी गलती के परफॉर्म किया। इससे भविष्य के मिशनों के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है।
एनवीएस-02 सैटेलाइट भारत की अगली पीढ़ी की नैवआईसी यानी नाविक सिस्टम का दूसरा उपग्रह है। नैवआईसी एक क्षेत्रीय उपग्रह नेविगेशन प्रणाली है, जिसे पूरे भारत में और इसकी सीमाओं से 1,500 किमी दूर तक के उपयोगकर्ताओं के लिए सटीक स्थिति, स्पीड और समय संबंधी डेटा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।