चिकित्सा और कृषि विवि में विभाजित करके आगरा विवि का पुनर्निर्माण कर इसको बचाएं
क्या आगरा के डॉ. बी.आर.आंबेडकर विश्वविद्यालय को बचाने के लिए कुछ किया जा सकता है? यह महत्वपूर्ण प्रश्न तब और भी गंभीर हो जाता है जब उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा गिरावट के निम्न बिंदु पर पहुंचती दिखती हो, जबकि राज्य के शिक्षा मंत्री ताजनगरी से आते हों।
-बृज खंडेलवाल-
उत्तर प्रदेश में नोएडा से लेकर लखनऊ तक 500 के करीब संबद्ध कॉलेज और सात लाख से अधिक छात्रों का एनरोलमेंट इसे बोझिल बनाता है। देरी से परिणाम आना, करप्शन, अनियमित परीक्षाएं और मार्कशीट में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी से विश्वसनीयता कम होती है। कई विभागों में संविदा और अतिथि शिक्षकों के भरोसे सिस्टम चल रहा है। टीचर्स और कर्मचारियों में उत्साह और प्रेरणा की कमी है। अनुचित नियुक्तियां, पदोन्नति नीतियों का अभाव और जवाबदेही का अभाव, व्यवस्थागत खामियों को लंबे समय से प्रभावित कर रहा है।
इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए साहसिक, परिवर्तनकारी कदमों की आवश्यकता है, जिसमें विश्वविद्यालय को विशेष संस्थानों में विभाजित करना प्राथमिकता है।
1854 में स्थापित थॉम्पसन मेडिकल स्कूल और अस्पताल, जो देश के पहले तीन में से एक है, जिसे बाद में अपग्रेड करके सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के रूप में पुनः नामित किया गया था, एक स्वतंत्र चिकित्सा विश्वविद्यालय के रूप में उन्नयन का हकदार है। इसकी सुविधाओं को मिनी-एम्स में अपग्रेड करने और आगरा के ऐतिहासिक मानसिक अस्पताल, (लेडी लायल स्त्री चिकित्सालय तो जुड़ चुका है) को एकीकृत करने की योजना चल रही है।
मेडिकल कॉलेज को आगरा विश्वविद्यालय से मुक्त करके एक समर्पित चिकित्सा विश्वविद्यालय बनाने से केंद्रित शासन सुनिश्चित करेगा। शीर्ष स्तरीय संकाय को आकर्षित करेगा और क्षेत्रीय स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों का समाधान करते हुए चिकित्सा में अत्याधुनिक प्रगति को बढ़ावा देते हुए स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ाएगा।
राजा बलवंत सिंह (आरबीएस) कॉलेज को कृषि विश्वविद्यालय में बदलना भी उतना ही अर्जेंट और प्रैक्टिकल है। 1885 में स्थापित, यह संस्थान भूमि संसाधनों के मामले में देश के सबसे बड़े संस्थानों में से एक है, जिसका बिचपुरी परिसर कृषि विस्तार, ग्रामीण विकास और इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता रखता है।
आलू, दालों, सरसों और गेहूं का एक प्रमुख उत्पादक होने के कारण आगरा का कृषि महत्व स्थानीय विशेषज्ञता की मांग करता है। कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना से अनुसंधान और नवाचार में वृद्धि होगी। कृषि-जलवायु चुनौतियों का समाधान, टिकाऊ प्रथाओं का विकास और फसल विविधीकरण का समर्थन होगा। किसान सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
आरबीएस कॉलेज को कृषि विश्वविद्यालय में अपग्रेड करने से इसका प्रभाव बढ़ेगा, जिससे शोध और व्यावहारिक अनुप्रयोगों का बेहतर एकीकरण हो सकेगा। आगरा विश्वविद्यालय को चिकित्सा और कृषि विश्वविद्यालय में विभाजित करना प्रशासनिक सुधार से कहीं अधिक यह एक रणनीतिक आवश्यकता है।
एक लंबी अवधि तक आगरा का एसएन मेडिकल कॉलेज, और बिचपुरी कृषि संस्थान, मदर इंस्टीट्यूशंस के जैसे बाद में खुले यूनिवर्सिटीज और सरकारी संस्थानों को फैकल्टी और विशेषज्ञ देते रहे, लेकिन खुद विकास की दौड़ में पिछड़ गए। अनेकों बार आगरा कॉलेज और सेंट जॉन्स कॉलेज को भी आगरा विश्वविद्यालय से मुक्त करके ऑटोनॉमस संस्थानों के रूप में मान्यता देने पर भी मंत्रणा हुई, लेकिन निजी स्वार्थों ने बात आगे नहीं बढ़ने दी। समस्या ये भी है कि व्यवस्था को चलाने के लिए जिम्मेदार लोग इन विषयों पर चर्चा करने से कतराते हैं, क्योंकि यथा स्थितिवाद की पूजा में ही मेवा है।
बदलाव का अब समय आ गया है। परिवर्तन विरोधी, डायनासोर के जैसे लुप्त होते दिखेंगे। अपनी जटिल संरचना का विकेंद्रीकरण करके, राज्य सरकार आगरा में उच्च शिक्षा को पुनर्जीवित कर सकती है। नवाचार को बढ़ावा दे सकती है, और उत्तर प्रदेश में कृषि और स्वास्थ्य सेवा के लिए एक उज्जवल भविष्य सुनिश्चित कर सकती है।
शिक्षा, कृषि और चिकित्सा में अपनी समृद्ध विरासत के साथ आगरा ऐसे संस्थानों का हकदार है जो इसकी क्षमता को दर्शाते हों। स्टेकहोल्डर्स, शिक्षक और स्टूडेंट्स के लिए निर्णायक रूप से कार्य करने, समकालीन चुनौतियों का समाधान करने और उत्कृष्टता के केंद्र बनाने के लिए इन ऐतिहासिक संस्थानों का लाभ उठाने का समय आ गया है जो भविष्य को आकार दे सकेंगे।