गुरुद्वारा दशमेश दरबार के समागम में संगत ने गुरु ग्रंथ साहिब को किया नमन
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आगरा। समागम गुरुद्वारा दशमेश दरबार विभव नगर, शहीद नगर में गुरता गद्दी दिवस पर आयोजित समागम जारी है। आज के दिन ही दसवें गुरु गोबिंद सिंह ने अपने समूचे सिख पंथ को हुक्म दिया था कि आज के बाद कोई देहधारी गुरु नहीं होगा, बल्कि गुरु ग्रंथ साहिब को ही आपने अपना गुरु मानना है। गुरु ग्रंथ साहिब से ही शिक्षा ग्रहण करनी है। सभी गुरुओं की ज्योति गुरु ग्रंथ साहिब के रूप में आपके सम्मुख होगी।
गुरु गोबिंद सिंह ने कहा था, "आज्ञा भई अकाल की तभै चलायो पंथ, सब सिखन को हुक्म है, गुरु मानयो ग्रंथ।"
समागम में प्रातः गुरुद्वारा दशमेश दरबार में कार्यक्रम हुए तो शाम को इसका भव्य आयोजन गुरूद्वारा साहिब कोठी नंबर 23 माल रोड आगरा पर हुआ। यहां हजारों संगतों ने गुरु ग्रंथ साहिब को नमन किया और गुरबाणी से जुड़कर इस दिन को खुशियों के साथ मनाया।
इस अवसर पर कीर्तनकार भाई सरबजीत सिंह पटना (साहिब वाले), कथाकार भाई सरबजीत सिंह (लुधियाना वालों) ने गुरु ग्रंथ साहिब की महिमा पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर शहर के कई गणमान्य व्यक्तियों को गुरु का सरोपा पहनाकर सम्मानित किया गया। उपस्थित लोगों में सुखमनी सेवा सभा के वीर महेंद्र पाल सिंह, प्रधान हरपाल सिंह, राजू सलूजा, गुरुसेवक श्याम भोजवानी, रमन साहनी, मलकीत सिंह, बंटी ओबेरॉय, इंद्रजीत सिंह वाधवा, गुरिंदर सिंह ओबेरॉय, देवेंद्र सिंह जुल्का, सुरेंद्र सिंह लवली, हरजिंदर सिंह, सुरेंद्र सिंह लाडी, अमरजीत सिंह भसीन, गुरमीत सिंह सेठी, अरविंद सिंह पप्पी, रिंकू गुलाटी, बंटी चावला, अमरप्रीत सिंह, आज्ञा सिंह की उपस्थिति खास रही।
गुरुद्वारा गुरु का ताल के प्रमुख बाबा प्रीतम सिंह ने भी समूह संगत को अपनी आशीष दी। गुरुद्वारा दशमेश दरबार के प्रमुख सेवादार सरदार हरपाल सिंह ने सभी संगत को धन्यवाद दिया।
इससे पूर्व सुबह अमृत वेला में सुखमनी सेवा सभा की ओर से भी गुरुद्वारा कलगीधर सदर बाजार में भव्य कीर्तन दरबार आयोजित किया गया, जिसे गुरता गद्दी के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर वीर महेंद्र पाल सिंह ने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब में हमें यह संदेश मिलता है कि मन से हम किसी का बुरा ना सोचें, तन से किसी का बुरा ना करें और जुबान से किसी के लिए बुरा ना बोलें।
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