औरंगजेब की कब्र को लेकर नागपुर में बवाल, पथराव, आगजनी

नागपुर। मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद अब पहले से ज्यादा गहरा गया है। शाम होते होते नागपुर में तनाव हो गया। उपद्रवियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की और गाड़ियों में आग लगा दी।. कुछ पुलिसकर्मियों के घायल होने की खबर है। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने शांति की अपील की है और कहा कि मैं प्रशासन के संपर्क में हूं।.

Mar 17, 2025 - 23:10
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औरंगजेब की कब्र को लेकर नागपुर में बवाल, पथराव, आगजनी

 दिन में हिंदुवादी संगठनों ने औरंगेजब की कब्र को हटाने को लेकर प्रदर्शन किया था। शाम में नागपुर में दो गुटों में टकराव के बाद तनाव की स्थिति हो गई। पुलिस हालात को काबू में करने के लिए फ्लैगमार्च कर रही है और उपद्रवियों की धड़पकड़ भी शुरू कर दी है।

यही वजह है कि महाराष्ट्र के संभाजीनगर और आसपास के शहरों में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश सरकार को कब्र ना हटाने पर आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। महाराष्ट्र में इस विवाद को लेकर वीएचपी और बजरंग दल समेत कई हिंदू संगठनों से जुड़े लोगों का आज सुबह से विरोध प्रदर्शन जारी है.। 

वीएचपी और बजरंग दल से जुड़े लोग प्रदेश के जिला कलेक्टर दफ्तरों पर प्रदर्शन कर रहे हैं.। प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना है कि मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को संभाजीनगर से हटाया जाए। ऐसा न करने पर वे लोग खुद ही कब्र को उखाड़ देंगे। हिंदू संगठनों की धमकी के बाद संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

इस बीच हिंदू जनजागृति समिति के एक आरटीआई से हुए खुलासे ने आग में घी डालने वाला काम किया है। समिति की ओर से दाखिल आरटीआई के जवाब में केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने बताया था कि साल 2011 से 2023 तक औरंगजेब की कब्र के रखरखाव पर लगभग 6.5 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। इसके बाद समिति ने सवाल उठाया था कि इतनी बड़ी राशि कब्र के रखरखाव पर क्यों खर्च की गई, जबकि सिंधु दुर्ग किले में स्थित राज राजेश्वर मंदिर के रखरखाव के लिए केवल छह हजार रुपये सालाना दिए जाते हैं। समिति के इस रुख से इस विवाद को और ज्यादा बढ़ावा मिला है। 

मुगल शासक औरंगजेब को लेकर हिंदुओं में नाराजगी की मुख्य वजह यह भी है कि उसने कई मंदिरों को नष्ट करा दिया था। साथ ही हिंदुओं के साथ बड़े पैमाने पर अत्याचार हुआ हुआ था। इसलिए भारत में कई हिंदू राष्ट्रवादी उसके अन्याय के खिलाफ अपने प्रदर्शन को सांस्कृतिक नवजागरण के रूप में देखते हैं।
 
दरअसल, औरंगजेब ने भारत पर लगभग 1658 से 1707 तक शासन किया था। उन्हें मुगल काल का एक कुशल और प्रभावी सम्राट माना जाता है। औरंगजेब के राज में ही जजिया का पुनर्गठन किया गया था। उसने सती प्रथा पर भी प्रतिबंध लगाने का काम किया था। इसके अलावा, औरंगजेब अपने शासनकाल में राज दरबार में गाने-बजाने के साथ-साथ शराब पीने पर भी प्रतिबंध लगाया था।