आम आदमी पार्टी में बगावत की स्थिति, विधायक तय करेंगे आगे की रणनीति
नई दिल्ली। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में अभी दो महीने बाकी हैं। आम आदमी पार्टी दो बार में 31 कैंडिडेट्स की लिस्ट जारी कर चुकी है। बड़ी बात ये है कि कैंडिडेट की लिस्ट में 24 मौजूदा विधायकों के नाम नहीं हैं। ये विधायक टिकट कटने से नाराज हैं और पार्टी के फैसले के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, बुधवार को 20 विधायक विधानसभा स्पीकर रामनिवास गोयल के घर मीटिंग करेंगे।
सूत्रों की मानें तो तीसरी लिस्ट में भी कुछ विधायकों का टिकट कटना तय है। उनकी जगह नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। ऐसे में कुछ विधायक तो खुलकर विरोध कर रहे हैं और कुछ ने पार्टी के भीतर ही बगावत कर दी है। सीलमपुर से विधायक रहे अब्दुल रहमान ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। सीलमपुर से पार्टी ने कांग्रेस से आए चौधरी जुबैर अहमद को टिकट दिया है। जुबैर अहमद कांग्रेस से पांच बार विधायक रहे मतीन अहमद के बेटे हैं। उन्होंने 29 अक्टूबर को पार्टी जॉइन की थी।
सूत्रों का कहना है कि आम आदमी पार्टी की तीसरी लिस्ट 24 घंटे में आ सकती है। पता चला है कि इसमें दो और विधायकों के टिकट काटने का फैसला ले लिया गया है। संगम विहार से दिनेश मोहनिया और मॉडल टाउन के विधायक अखिलेशपति त्रिपाठी के टिकट कटना तय है। ऐसे में 20 विधायक पार्टी के खिलाफ लामबंद होने की तैयारी में हैं। ये सभी आज दोपहर तीन बजे दिल्ली विधानसभा के स्पीकर के घर जुटेंगे।
सूत्र ने आगे बताया कि हम सब मिलकर तय करेंगे कि आगे क्या करना है। साथ में पार्टी छोड़ें या पार्टी में रहकर ही अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोलें। अगर पार्टी में रहकर कार्यकर्ता की तरह मोर्चा खोलना है, तो फिर ठोस स्ट्रैटजी बनानी पड़ेगी। विधायकों का प्लान ये है कि अगर पार्टी छोड़नी है तो फिर इस मौके को हंगामेदार बनाया जाए। अगर सभी विधायक एक साथ पार्टी छोड़ेंगे तो उनके प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का सुझाव आया है। इसमें पार्टी के भीतर चल रही तानाशाही और जनता से लगातार बोले जा रहे झूठ का खुलासा किया जाएगा।
अगर पार्टी नहीं छोड़नी है तो फिर बतौर कार्यकर्ता कैसे लीडरशिप के खिलाफ मोर्चा खोला जाए, इस पर चर्चा होगी। एक सोर्स बताते हैं, 'हर विधायक के पास हजारों समर्थक हैं। अगर उस सीट पर वे एकजुट हो गए तो मौजूदा उम्मीदवार के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। अभी इस विकल्प को हमने छोड़ा हुआ है। अरविंद केजरीवाल को हमें बताना होगा कि टिकट काटो अभियान के पीछे उनकी रणनीति क्या है।
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