संविधान देश का है, किसी एक दल का नहीं- राजनाथ सिंह
संविधान लागू होने के 75 साल पूरे होने के मौके पर लोकसभा में आज से दो दिन की संविधान पर चर्चा शुरू हो गई। इसे लेकर सत्तारूढ़ दल बीजेपी और कांग्रेस दोनों में जहां इस चर्चा के लिए श्रेय लेने की होड़ नजर आ रही है तो वहीं दोनों ही राष्ट्रीय दलों ने अपने-अपने सांसदों को दो दिन तक सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया है।
नई दिल्ली। लोकसभा में आज संविधान पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम भारतीय संविधान के अमृत महोत्सव के साक्षी बन रहे हैं। 75 साल पहले संविधान निर्माण का काम खत्म किया गया था। तीन साल की मशक्कत के बाद हमें अपना संविधान मिला। जन आकांक्षाओं की प्रेरणा थी। कई सदियों के बाद भारत की तकदीर भारत के लोगों के हाथों में थी। 26 नवंबर 1949 को हमने संविधान को अपनाया था, यह वह दिन था जब हम प्रजा से नागरिक बने थे। ऐसे नागरिक जो सरकार को चुन सकते थे, चुन ही नहीं सकते थे बल्कि सरकार को बदल भी सकते थे। देश में राजतंत्र नहीं था बल्कि जनता शासन था और लोकतंत्र था।
राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ लोगों की ओर से हमारे संविधान के उपनिवेशवाद की बात की जाती है, कुछ समय से हमारे देश में ये माहौल बनाया जाता है कि संविधान एक पार्टी का है। संविधान निर्माण में बहुत से लोगों की भूमिका को नहीं बताया गया है। हमारा संविधान स्वाधीनता संग्राम के हवन कुंड से निकला एक अमृत है, हमारा संविधान स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग से सिंचित हमारा स्वाभिमान है। स्वतंत्र भारत का संविधान कैसा होगा, इस बात पर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए थे।
राजनाथ सिंह ने कहा कि एक पार्टी विशेष द्वारा संविधान निर्माण के कार्य को हाइजैक करने की कोशिश हमेशा से की गई है। स्वतंत्रता और समानता के सिद्धांतों पर आधारित संविधान की वकालत मुखर्जी ने की थी। हमारे संविधान में भी इन्हीं मूल्यों को प्राथमिकता दी गई है लेकिन कहीं इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है। मैं आज यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हमारा संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं है , भारत का संविधान भारत के लोगों द्वारा, भारत के विचारों के साथ और भारत के मूल्यों के अनुरूप बनाया गया है।
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि जैसे हमारे संविधान के मूल प्रति के भाग 3 में जिसमें मौलिक अधिकारों का वर्णन है। उसमें भगवान श्रीराम, मां सीता जी और प्रभु लक्ष्मण जी की तस्वीर भी अंकित है। संविधान की मूल प्रति के मुख्य पृष्ठ पर अजंता गुफाओं की पेंटिंग की छाप मिलती है और साथ ही कमल का फूल भी अंकित है। वह कमल का फूल यह दर्शाता है कि सदियों की गुलामी के दलदल से बाहर आकर अब संप्रभु और लोकतांत्रिक गणराज्य का उदय हो चुका है।
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