राजा भए रघुराई कौशल्या दे दो बधाई...
आगरा। सियाराम को बैठाकर दिव्य विमान के उड़ते ही कोलाहल के साथ श्रीहरि सीता जी और लक्ष्मण के साथ के साथ 14 वर्ष बाद अयोध्या पहुंचते हैं। सीता धाम में आज त्रेता युग के अयोध्या धाम जैसा उत्सव था। समस्त अयोध्यावासी सज-धज कर श्रीराम के राजतिलक उत्सव में राजमहल के प्रांगण में पहुंचे और देवता आकाश से पुष्प वर्षा करने लगे। यहां तक कि संत विजय कौशल महाराज भी व्यास पीठ से उठकर श्रीराम के ताजतिलक उत्सव की मस्ती में श्रीहरि के कीर्तन पर थिरकने लगे।
श्रीराम कथा के अंतिम दिन संत श्री विजय कौशल महाराज ने लक्ष्मण और इंद्रजीत के युद्ध का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि यह दो वीरों का नहीं बल्कि दो पतिव्रताओं का आमना-सामना था। एक के पीछे सुलोचना का पतिव्रत और दूसरे के पीछे उर्मिला का पतिव्रत खड़ा था। सुलोचना का पतिव्रत हार गया, क्योंकि सुलोचना का पतिव्रत भले ही पवित्र था, परन्तु अधर्म के साथ खड़ा था।
संतश्री ने कहा कि मेघनाद काम का प्रतीक है, जो शरीर में दिखाई नहीं देता परन्तु मारता बहुत है। बेचैन और व्याकुल करता है। जब लक्ष्मण जैसा परमब्रह्मचारी और उर्मिला जैसी तपस्विनी की शक्ति मिलती है, तभी काम मरता है।
कथा में संतश्री ने कहा कि कुम्भकर्ण ने रावण को फटकारते हुए कहा था कि जगतमाता का अपहरण कर रावण कल्याण की कामना कर रहा है, परन्तु बड़ा भाई होने के कारण साथ उसने रावण का दिया।
कथा विश्राम पर सभी भक्तों ने आरती कर प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, कैबिनेट मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय, सलिल गोयल, उषा गोयल, राकेश अग्रवाल, रेखा अग्रवाल, घनश्याम दास अग्रवाल, महेश गोयल, महावीर मंगल, रूप किशोर अग्रवाल, मुरारी प्रसाद अग्रवाल, हेमन्त भोजवानी, राहुल अग्रवाल, निकिता, पीके भाई, कमलनयन फतेहपुरिया, प्रशान्त मित्तल, सरजू बंसल, गौरव बंसल, संजय गोयल आदि उपस्थित थे।
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