बर्खास्त होने जा रहे हैं आगरा कालेज के प्रिंसिपल, आदेश आने को है

डा. अनुराग शुक्ला का आगरा कालेज के प्राचार्य का पद खतरे में है। चार-चार जांचों के बाद उच्च शिक्षा आयोग ने उन्हें बर्खास्त करने की तैयारी कर ली है, ऐसी सूत्रों ने जानकारी दी है।

Sep 28, 2024 - 14:29
Sep 28, 2024 - 14:32
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बर्खास्त होने जा रहे हैं आगरा कालेज के प्रिंसिपल, आदेश आने को है

आगरा। आगरा कालेज के प्राचार्य डा. अनुराग शुक्ला का भांडा फूट गया है। बीते कल जहां आगरा के सीजेएम ने उनके खिलाफ थाना लोहामंडी पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए हैं, वहीं शासन स्तर से भी उन पर जल्द गाज गिरने जा रही है। डा. शुक्ला की प्राचार्य पद से बर्खास्तगी लगभग तय हो चुकी है। बस इंतजार है आदेश आने का। वही उच्च शिक्षा आयोग डा. शुक्ला को बर्खास्त करने की तैयारी कर चुका है, जिसने उनका चयन किया था। संकेत हैं कि डा. अनुराग शुक्ला के खिलाफ शासन स्तर से भी मुकदमा लिखाया जा सकता है। 

डा. अनुराग शुक्ला को अक्टूबर 2021 में आगरा कालेज का प्राचार्य नियुक्त किया गया था। वे आयोग से चयनित प्राचार्य थे। सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि पिछले साल अपनी ऐंठ में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय को ही चेलैंज कर बैठे। मंत्री ने किसी के एडमिशन के लिए कहा तो नकार दिया। योगेंद्र उपाध्याय एक कार्यक्रम के लिए आगरा कालेज पहुंचे तो उनकी गाड़ी के लिए गेट नहीं खोलने दिया गया। और तो और डा. शुक्ला को जब निलंबित किया गया तो उन्होंने सीधे तौर पर योगेंद्र उपाध्याय पर ही आरोप जड़ दिया कि वे मेरी हत्या करा सकते हैं। 

पिछले साल हुई थी शिकायत

पिछले साल शासन में उनके खिलाफ एक शिकायत पहुंची कि प्राचार्य डा. शुक्ला ने फर्जी डाक्यूमेंट लगाकर प्राचार्य पद हथियाया है। उनके खिलाफ आगरा कालेज में वित्तीय घोटालों की भी शिकायत की गई। इन शिकायतों की प्रतिलिपि कालेज प्रबंध समिति की अध्यक्ष मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी और उपाध्यक्ष तत्कालीन जिलाधिकारी को भी भेजी गईं। मंडलायु्क्त ने इन शिकायतों की जांच कराने के लिए शासन को लिख दिया। 

जून 2023 में हुई थी पहली जांच

तत्कालीन प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने इन आरोपों की जांच कराने के लिए उच्च शिक्षा के अपर निदेशक, वित्त नियंत्रक को आगरा में भेजा। आरबीएस कालेज के पूर्व प्राचार्य डा. बीके अग्रवाल भी इस जांच समिति के सदस्य थे। इस कमेटी ने 17 और 18 जून 2023 को आगरा में रुककर शिकायतों के एक-एक बिंदु की जांच की। कमेटी को जांच में सारे आरोप सही मिले और प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। 

प्रमुख सचिव के स्तर से जांच रिपोर्ट कार्रवाई के लिए उच्च शिक्षा आयोग के पास भेजी गई, लेकिन इस समय उच्च शिक्षा आयोग में कोई अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारी नहीं थे। उनका कार्यकाल पूरा हो चुका था और आयोग का काम प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ही देख रहे थे। लिहाजा प्रमुख सचिव ने इस पर इसलिए एक्शन नहीं लिया क्योंकि जांच कराने वाले भी वही थे, जिसका लाभ कोर्ट में डा. शुक्ला द्वारा लिया जा सकता था। 

जांच रिपोर्टों के आधार पर इस साल की शुरुआत में शासन ने डा. अनुराग शुक्ला को निलंबित कर आगरा कालेज के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डा. सीके गौतम को कालेज का कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त कर दिया था। इसके खिलाफ डा. शुक्ला हाईकोर्ट चले गए थे। उस समय हाईकोर्ट ने शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। साथ ही यह भी कहा था कि डा. शुक्ला पर लगे आरोपों की एक बार फिर से जांच कराई जाए। 

हाईलेवल कमेटी ने आगरा आकर की थी जांच

हाईकोर्ट के आदेश के बाद उच्च शिक्षा निदेशक, अपर निदेशक, बीएचयू के एक प्रोफेसर समेत कई अन्य की उच्चस्तरीय कमेटी प्राचार्य डा. शुक्ला पर लगे आरोपों की जांच के लिए आगरा आई। कमेटी ने 25 और 26 अप्रैल को आगरा में रुककर जांच की और पाया कि डा. शुक्ला ने कालेज के फंड का दुरुपयोग कर लगभग 18.50 करोड़ की गड़बड़ी की है। कमेटी ने यह आरोप भी सही पाया कि डा. शुक्ला ने नौ फर्जी डाक्यूमेंट दाखिल कर उच्च शिक्षा आयोग को गुमराह किया और प्राचार्य पद पर अपना चयन करा लिया। 

कालेज की जांच कमेटी ने भी आरोप सही माने थे

मार्च और अप्रैल में आगरा कालेज के प्राचार्य पद पर डा. सीके गौतम रहे थे। इस दौरान उन्होंने भी कालेज के चार वरिष्ठ शिक्षकों की एक कमेटी बनाकर डा. शुक्ला पर लगे आरोपों की जांच कराई थी, जिसमें पाया गया था कि निर्माण कार्यों के नाम पर बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियां हुई हैं। टायलेट ब्लाक के निर्माण में अनाप-शनाप बिल लगाए गए। इस कमेटी ने पाया कि 18.50 करोड़ की हेरफेर है। इस बीच एक मई 2024 को हाईकोर्ट के आदेश से डा. अनुराग शुक्ला एक बार फिर प्राचार्य की कुर्सी पर बैठ गए। तब से आज तक वही प्राचार्य पद का काम देख रहे हैं। 

शासन ने कर ली बर्खास्तगी की तैयारी

डा. अनुराग शुक्ला को चूंकि उच्च शिक्षा आयोग ने प्राचार्य पद के लिए चयनित किया था, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई भी आयोग को ही करनी है। पिछले कई माह से आयोग में अहम पद रिक्त चले आ रहे थे। अब आयोग की अध्यक्ष कीर्ति बन चुकी हैं। उनके सम्मुख डा. अनुराग शुक्ला का प्रकरण आ चुका है। 

आयोग की अध्यक्ष ने डा. अनुराग शुक्ला के खिलाफ अब तक हुई जांचों की अपने स्तर से भी कमेटी बनाकर जांच कराई। इस जांच कमेटी ने भी आरोपों की पुष्टि कर दी है। सूत्रों की मानें तो आयोग की अध्यक्ष ने डा. अनुराग शुक्ला को सेवाओं से बर्खास्त करने का निर्णय ले लिया है। इस आशय का आदेश जल्द ही जारी हो सकता है। 

पांच योग्यताएं चाहिए प्राचार्य पद को

यूपी में किसी भी डिग्री कालेज का प्राचार्य बनने के लिए पांच योग्यताएं देखी जाती हैं। इनमें 15 साल का शैक्षणिक अनुभव, अभ्यर्थी को पीएचडी होना चाहिए और उसका रिसर्च पेपर पब्लिश होना चाहिए। इसके साथ ही अभ्यर्थी के निर्देशन में शोध कार्य भी होने चाहिए। 

डा. शुक्ला के अधीन शोध कार्य इसलिए नहीं हो सकते थे क्योंकि वे इसके लिए अर्ह ही नहीं थे। इन्होंने प्राचार्य पद हासिल करने के लिए उच्च शिक्षा आयोग के समक्ष फर्जी रिसर्च पेपर प्रस्तुत कर दिए थे। 

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SP_Singh AURGURU Editor