VIDEO ADVT IN NEWS : आगरा में हरित पटाखों की ही बिक्री, मगर जुगाड़ के धमाकों ने प्रदूषण नियंत्रण प्रोग्राम को पलीता लगा दिया
आगरा में सरकार और प्रशासन की ओर से पटाखों की बिक्री, निर्माण, भंडारण और उपयोग पर सीमाएं निर्धारित हैं। इसके अलावा पटाखे बहुत महंगे भी हैं। ऐसे में लोगों ने आतिशबाजी के लिए सस्ता और आसान तरीका खोज लिया। इस बार जुगाड़ के धमाके भी खूब सुनाई दे रहे हैं। लगभग डेढ़ दशक बाद गंधक पोटाश ने फिर वापसी कर ली है और लोग लोहे की पाइप से आतिशबाजी कर रहे हैं।
ताजनगरी के कई इलाकों में इस देशी तकनीक से आतिशबाजी की जा रही है जो न केवल आतिशबाजी करने वाले के लिए जानलेवा हो सकती है बल्कि प्रदूषण बढ़ाने के लिए भी जिम्मेदार है। इसके अलावा पाइप के फटने पर आस—पास के लोगों के लि भी खतरा हो सकता है। हालांकि महंगाई को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है बल्कि इस तरह की आतिशबाजी का असली कारण रील बनाना और सोशल मीडिया पर वायरल करना माना जा रहा है। जानकार बताते हैं कि गंधक एक ज्वलनशील पदार्थ है जबकि पोटाश में नमी से गैस बन सकती है। इससे व्यक्ति बेहोश हो सकता है। गंधक की धूल सांस लेने वाले वायु मार्ग में जलन पैदा कर सकती है। आंखों को नुकसान हो सकता है। गंधक पोटाश अधिक मात्रा में भरने से लोहे की पाइप फट सकती है। आग भी लग सकती है। इस देशी पटाखे से निपटने के लिए अब प्रशासन को सक्रिय होने की जरूरत है, क्योंकि पिछले कुछ सालों में धीरे—धीरे और इस साल गंधक पोटाश ने पूरी तरह वापसी की है।
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